भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को अपनी प्रमुख उधार दर या रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.15 प्रतिशत कर दिया। इस साल ये पांचवीं बार है जब रेपो रेट में कटौती हुई है। रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। इसमें कमी आने से बैंकों को सस्ता कर्ज मिलेगा तो उन पर ब्याज दरें घटाने का दबाव बढ़ेगा। रेपो रेट 5.40% से घटकर 5.15 हो गया है। यह 9 साल में सबसे कम है।

इससे पहले अगस्त में हुई बैठक में भी आरबीआई ने रेपो दर कम की थीं। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में हुए फैसले के अनुसार, रेपो रेट को घटाकर 5.40 फीसदी कर दिया गया था। इसमें 35 आधार अंकों की कटौती की गई थी। केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो रेट को 5.15 फीसदी किया था।

: रेपो दर 5.15 प्रतिशत पर आई, इसी के अनुरूप रिवर्स रेपो दर भी घटकर 4.90 प्रतिशत रह गई।
: नीतिगत दर में वर्ष 2019 में यह लगातार पांचवी कटौती।
: चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का अनुमान 6.9 प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत किया।
: आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के मद्देनजर मौद्रिक नीति में समायोजन बिठाने वाला नरम रुख बरकरार।
: अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार के प्रोत्साहन उपायों से निजी क्षेत्र में खपत और निजी निवेश बढ़ाने में मिलेगी मदद।
: लगातार आर्थिक सुस्ती से आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के प्रयास तेज करने की जरूरत।
: दूसरी तिमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान संशोधित कर 3.4 प्रतिशत किया।
: दूसरी छमाही का खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान 3.5 से 3.7 प्रतिशत पर बरकरार।
: रिजर्व बैंक ने माना कि नीतिगत दरों में कटौती का लाभ आगे पहुंचाने का काम आधा-अधूरा ही हुआ।
: विदेशी मुद्रा भंडार एक अक्टूबर तक 434.6 अरब डॉलर रहा, 31 मार्च 2019 के मुकाबले इसमें 21.7 अरब डॉलर की वृद्धि।
: मौद्रिक नीति समिति के सभी सदस्य दरों में कटौती को लेकर सहमत।
: मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक तीन से पांच दिसंबर 2019 को होनी तय।

(भाषा इनपुट के साथ)