भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बढ़ती महंगाई पर चिंता जाहिर की है। उनका मानना है कि देश की आर्थिक वृद्धि तो ठीक है लेकिन महंगाई सबसे बड़ी चुनौती है। शुक्रवार को को वाइब्रेंट गुजरात कार्यक्रम में दास ने कहा कि तेल, खाद्य-पदार्थ और तमाम वस्तुओं की कीमतों में अनिश्चितता की स्थिति महंगाई के मूल्यांकन में बाधक हैं। आरबीआई गवर्नर बनने के बाद पहली बार लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया, “अक्टूबर 2018 के बाद से महंगाई दर में काफी कमी रही है और तेल की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। खाद्य और तेल मंहगाई दर 6 फीसदी के करीब सिमटा हुआ है।”

दास का मानना है कि निजी उपभोग और निवेश की बदौलत विकास की रफ्तार कायम रहेगी। उन्होंने इंटरनैशनल मॉनेटरी फंड (IMF) और विश्व बैक का हवाला देते हुए कहा कि इस वर्ष भारत का विकास दर 7.5 फीसदी रहने वाला है। भारत के निवेश का आंकड़ा 2018-12 में 12.2 फीसदी रहा है। दास ने उम्मीद जताई की आगामी टर्म में भी भारत में निवेश का प्रदर्शन और बेहतर हो सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत को किसी भी अंतरराष्ट्रीय आर्थिक आफतों से निपटने के लिए भी तैयार रहना होगा। उन्होंने बताया कि काफी वक्त से अंतरराष्ट्रीय बाजार की रफ्तार काफी सुस्त रही है। लेकिन, अच्छी बात यह रही कि भारत का घरेलू बाजार इस दौरान भी काफी बेहतर प्रदर्शन करता रहा है। आरबीआई गवर्नर ने साफ संदेश दिया कि आगामी दिनों में रिजर्व बैंक अपने मॉनिटरी पॉलिसी में कोई ढील नहीं देने वाला। मसलन, रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होने वाला है।

आरबीआई गवर्नर के मुताबिक महंगाई के अलावा और भी कई चुनौतियां हैं जो अर्थव्यवस्था को परेशान कर रही हैं। उन्होंने बैंकों के एनपीए को बड़ा संकट बताया और कहा कि इन गतिविधियों पर नज़र बनाए रखने की जरूरत है।