नए नोटों की छपाई को लेकर रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया और वित्त मंत्रालय अपनी-अपनी राह चल रहे हैं। रिजर्व बैंक को सूचनार्थ बताकर वित्त मंत्रालय छपाई के लिए सीधे निर्देश जारी कर रहा है। दूसरी ओर, रिजर्व बैंक का ध्यान अपने मुद्रणालयों में दो हजार और एक सौ रुपए के नोटों की छपाई पर है। ऐसे में पांच सौ रुपए के नए नोटों की छपाई प्रक्रिया धीमी तो चल ही रही है, वित्त मंत्रालय के मातहत मुद्रणालयों में समन्वय का संकट उठ खड़ा हुआ है। इन हालात में नकदी संकट तीव्र होने की आशंका खुद रिजर्व बैंक ने जताई है।
पांच सौ रुपए के कुल 1660 करोड़ नोट चलन में हैं, जिन्हें नए डिजाइन वाले नोटों से बदला जाना है। अभी तक सिर्फ एक करोड़ नोटों को छाप कर जारी किया जा सकता है, जो जरूरत का सिर्फ 0.06 फीसद है। आलम यह है कि पुराने जो नोट जमा किए जा रहे हैं, उस अनुपात में नए नोट बाजार में जारी नहीं किए जा पा रहे। इस वजह से ही एटीएम और खातों से रकम निकालने की सीमा तय की गई है। साथ ही, बैंकों के खजाने में जमा बढ़ रहा है। इसकी प्रमुख वजह नोटों की छपाई में हो रही देरी है।
देरी क्यों?
दरअसल, पांच सौ रुपए के नोटों की छपाई को सीधे वित्त मंत्रालय के अधिकारी नियंत्रित कर रहे हैं। नासिक और देवास के मुद्रणालयों में पांच सौ के नोट छप रहे हैं। ये मुद्रणालय आरबीआइ और वित्त मंत्रालय के संयुक्त उपक्रम एसपीएमसीआइएल के तहत हैं। यहां वित्त मंत्रालय का निर्देश चलता है। इस उपक्रम का कोई सीईओ या अध्यक्ष नहीं है। इस कारण वित्त मंत्रालय सीधे दोनों जगह के काम को देख रहा है। दोनों जगह नोटों की छपाई के बारे में आरबीआइ के गाइडलाइन भेजे गए। इसके आधार पर नोटों की डिजाइन और प्रूफ वित्त मंत्रालय के पदेन अधिकारियों ने पास किए जबकि छपाई के अंतिम चरण तक आरबीआइ को नजर रखनी होती है।
समन्वय के अभाव में गड़बड़ियां हुर्इं और दो डिजाइन वाले पांच सौ के नोट हड़बड़ी में छप गए। आरबीआइ की प्रिंसिपल एडवाइजर अल्पना किल्लावाला के अनुसार, ‘अभी नए नोट जारी करने की हड़बड़ी है। इस कारण कुछ गलत डिजाइन वाले नोट जारी कर दिए गए हैं। लेकिन वे चलन में हैं। अगर लोगों को परेशानी हो तो उन नोटों को आरबीआइ के काउंटरों से बदला जा सकता है।’ दूसरी ओर, वित्त मंत्रालय के अतिरिक्त महानिदेशक और प्रवक्ता डीएस मलिक के अनुसार, ‘नए नोटों की कमी है। दोनों छापाखानों में हमारे वित्त मंत्रालय के पदेन अधिकारी अच्छे से काम देख रहे हैं। उस उपक्रम के प्रमुख की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। दरअसल, प्रधानमंत्री ने अचानक घोषणा की और हमें युद्धस्तर पर इंतजाम करने पड़ रहे हैं। जल्द ही समस्याओं का निपटारा हो जाएगा।’

