उत्तराखंड में स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, वन, जल, सफाई, तथा विकलांग कल्याण से जुड़े विकास कार्यक्रमों के लिए आज उत्तराखंड सरकार और गैर-सरकारी संगठन दि हंस फाउंडेशन के बीच एक करार किया गया। मुख्यमंत्री हरीश रावत की उपस्थिति में राज्य सरकार की ओर से अपर मुख्य सचिव एस राजू और दि हंस फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एसएन मेहता ने एक समझौता ज्ञापन(एमओयू) पर दस्तखत किए।
हंस फाउन्डेशन के विजन 2020 के तहत शुरू हुए इन विकास कार्यक्रमों में बहुत से अन्य गैर सरकारी संगठनों के भी साथ आने की उम्मीद है जिनमें मैक्स इंडिया फाउंउेशन, प्लान इंटरनेशनल, अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन, इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटिग्रेटेड डेवलपमेंट, हिम्मथॉन, सीबीएम, हेल्पेज इंडिया, क्राई, टाटा सस्टेनेबिलिटी गु्रप, चैरिटिज एंड फाउंडेशन, इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन जैसे संगठन शामिल हैं।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस मौके पर कहा कि इस करार से सरकार, हंस फाउंडेशन व अन्य गैर सरकारी संगठनों के बीच सामंजस्य बढ़ेगा। उत्तराखंड में एनजीओ की भूमिका को महत्त्वपूर्ण बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ये प्रदेश के विकास में उत्प्रेरक का काम करते हैं और समावेशी विकास के लिए गैर सरकारी संगठनों का साथ लेना मददगार रहता है। इस संबंध में उन्होंने कहा कि हंस फाउंडेशन राज्य के गांव-गांव में मौजूद है।
रावत ने कहा कि विकास कार्यों में जनसहभागिता से प्रशासनिक शिथिलता को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न स्त्रोंतों से संसाधनों को जुटाना व विचारों को क्रियान्वित करना भी एक कला होती है और हमें अपनी विकास रणनीति में समावेशी गुण लाना होगा। राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए, खिलती कलियां कार्यक्रम का जिक्र करते हुए रावत ने कहा कि बहुत से लोग इसके तहत कुपोषित बच्चों को गोद लेने के लिए आगे आए हैं और इससे पता चलता हैं कि अगर लोगों के समक्ष पूरी गंभीरता के साथ विचार रखे जाएं तो समाज से बड़े पैमाने पर सहयोग मिलता है।
उन्होंने कहा कि आज हस्ताक्षर किए गए एमओयू से शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल क्षेत्र में सरकार को सहायता मिलेगी। उन्होंने सूक्ष्म, घरेलू व कुटीर उद्योगों, पर्यटन, आपदा सम्भावित क्षेत्रों में पहले से तैयार :प्री-फेब्रिकेटैड: ढांचा खड़ा करने, पारम्परिक शिल्प व संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन में भी गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग की अपेक्षा की। दि हंस फाउंडेशन की अध्यक्ष श्वेता रावत ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में उत्तराखण्ड में बहुत से गैर-सरकारी संगठन कार्य कर रहे हैं और इन सभी के प्रयासों को समन्वित किए जाने की आवश्यकता महसूस हो रही थी। उन्होंने कहा कि इस एमओयू से जहां सरकार व हंस फाउंडेशन एक दूसरे के सहयोगी के तौर पर काम करेंगे वहीं अन्य महत्त्वपूर्ण गैर-सरकारी संगठनों का सहयोग भी मिलेगा।
हंस फाउंडेशन ने विशेष रूप से 2013 की आपदा के बाद उत्तराखंड में 500 करोड़ रूपए का निवेश समावेशी सामाजिक विकास में करने का निर्णय लिया है। कार्यक्रम को पद्मश्री व प्रसिद्घ फिल्म निर्देशक गोविंद निहलानी ने भी संबोधित किया।