उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के खाद्यान्न की खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के लोग ही काला बाजारी कर रहे हैं। इस योजना के तहत हर गरीब परिवार को कोरोना महामारी के दौरान मुफ्त गेहूं, चावल व चना हर महीने राशन की दुकानों के माध्यम से दिया जा रहा है। गरीबों को बांटने के बजाए खाद्य और आपूर्ति विभाग के लोग राशन डीलरों से यह खाद्यान्न औने-पौने दामों में खुद ही खरीद कर उसकी काला बाजारी कर रहे हैं।
बागपत जिले की कलेक्टर शकुंतला गौतम को इस बारे में शिकायत मिली तो उन्होंने अपने एसडीएम को निगरानी पर लगाया। शिकायत बड़ौत स्थित खा़द्य विभाग के गोदाम पर तैनात एसएमआई के बारे में थी। 13 जुलाई को कस्बा अमींनगर सराय में ऐसा एक ट्रक पकड़ा गया जिसमें 651 बोरी चावल लदा था। ड्राईवर ने बताया कि यह चावल काला बाजारी के लिए सरकारी गोदाम के इंचार्ज एसएमआई के दो कारिंदों ने गोदाम से लदवाया था, जिसे अखिल गुराना काला बाजारी के लिए अमींनगर सराय ले गया था।
पूछताछ में खुलासा हुआ कि गोदाम का इंचार्ज एसएमआई राशन डीलरों से राशन दिए बिना प्राप्ति की रसीद ले लेता है और बदले में उन्हें कुछ पैसे दे देता है। इस खाद्यान्न की बाद में वह काला बाजारी करता है। ड्राईवर के इस खुलासे के बाद भी पुलिस में दर्ज एफआईआर में इंचार्ज को आरोपी नहीं बनाया गया। ऐसा करने पर आपूर्ति विभाग के लोगों के फंसने का भी अंदेशा था।
मामले से यह खुलासा भी हुआ कि एसएमआई ने गैरकानूनी तरीके से दो गैरसरकारी लोगों को अपने धंधे में मदद के लिए गोदाम पर तैनात कर लिया था। लाखों रुपए का सरकारी खाद्यान्न वह इन्हीं के भरोसे छोड़ रहा था। इन कारिंदों को पगार भी काला बाजारी की आमदनी से एसएमआई ही दे रहा था, सरकार नहीं।
आपूर्ति विभाग के निरीक्षक ने इस मामले में ट्रक मालिक और एक ट्रांसपोर्टर को भी आरोपी बना दिया। एसएमआई को बचाने के लिए यह गुलगपाड़ा किया गया। ट्रक मालिक उपेंद्र का कहना है कि एसएमआइ ने उसके ड्राईवर को पटा लिया था। मालिक को बताए बिना ही ड्राईवर ने बड़ौत के सरकारी गोदाम से चावल अपने ट्रक में लादा और एसएमआइ के कारिंदे अखिल गुराना के साथ वहां से अमींनगर सराय ले गया। पुलिस ने धरपकड़ की तो एसएमआई ने अपने दोनों कारिंदों को भगा दिया। ट्रक मालिक उपेंद्र का कहना है कि न तो उसका इस मामले से कुछ लेना-देना है और न ट्रांसपोर्टर का।
उधर ट्रांसपोर्टर का कहना है कि उसने सरकारी तंत्र द्वारा गरीबों को सरकार से मिलने वाले मुफ्त खाद्यान्न की काला बाजारी के गोरखधंधे का विरोध किया था। उपें२द्र ने बताया कि वह अपने ट्रक को पूर्व में बड़ौत के पास छपरौली स्थित राज्य सरकार के गोदाम तक एफसीआई के ठेकेदार के आदेश पर खाद्यान्न उतारने जरूर भेजता था। पर सरकारी खाद्यान्न वहां से लेने कभी नहीं।
बागपत की जिलाधिकारी शकुंतला गौतम ने बताया कि पकड़ा गया चावल है तो सरकारी और लदा भी बड़ौत के सरकारी गोदाम से ही था। पर बाद में इस गोदाम की जांच की गई तो वहां स्टाक सही मिला। बकौल उपेन्द्र इसी से साफ है कि गोदाम पर तैनात एसएमआई द्वारा यह चावल राशन डीलरों से हथियाया गया था।
बागपत के जिला पूर्ति अधिकारी अपने राशन डीलरों को बचाने के लिए सफाई दे रहे हैं कि डीलर को मिलने वाले अनाज की बोरी पर खास तरह की मुहर होती है, जो इस चावल की बोरियों पर नहीं मिली। लेकिन ट्रक मालिक उपेंद्र के मुताबिक नियमानुसार तो एसएमआइ को अनाज सरकारी गोदाम में उतारने से पहले ही यह मुहर लगवानी चाहिए। पर ऐसा किया नहीं जा रहा।
राज्य सरकार ने काला बाजारी रोकने के लिए एफसीआइ गोदाम से राज्य सरकार के गोदाम तक खाद्यान्न ढोकर ले जाने वाले ट्रकों पर जीपीएस सिस्टम अनिवार्य कर रखा है। यानि ढुलाई करने वाला ठेकेदार या ट्रक ड्राईवर उस खाद्यान्न को कहीं ओर नहीं ले जा सकते। पर गोदाम से खाद्यान्न की काला बाजारी करने वाले सरकारी अमले पर कोई प्रभावी अंकुश नहीं लगा है।