स्व नियमन की हिमायत करते हुए सरकार ने मीडिया से कहा कि वह कोई नियमन नहीं लाएगी, बल्कि प्रेस को अपने पास मौजूद व्यापक जिम्मेदारी को पहचानना चाहिए। सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौर ने यह सुझाव भी दिया कि मीडिया कवरेज में अक्सर आतंकवादियों की छोटी हरकतों को प्रचारित कर उनका समर्थन किया जाता है, जिससे डर फैलता है।

भारतीय जनसंचार संस्थान (आइआइएमसी) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश में प्रेस की स्वतंत्रता कभी नहीं सिकुड़ेगी। संस्थान के कुछ एससी-एसटी छात्रों के खिलाफ उनके कुछ सहपाठियों की ओर से की गई जातिवादी टिप्पणी के आरोपों से पैदा हुए हालिया विवाद के मद्देनजर कार्यक्रम से मीडिया को दूर रखा गया।

मंत्री ने छात्रों को पत्रकारों की जिम्मेदारी याद दिलाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि 21 वीं सदी का अभिशाप आतंकवाद है। एक आतंकवादी एक छोटी सी घटना का व्यापक प्रभाव छोड़ना चाहता है। एक व्यक्ति की जान लो और एक लाख आबादी को आतंकित करो। आतंकवादी इस तथ्य से अवगत होता है कि उसकी इस छोटी सी हरकत को प्रचारित कौन करेगा।

राठौर ने कहा कि दहशत का सीधा कारण डर है और हममें से एक हिस्सा इस डर को उन लोगों में फैलाने में आतंकवादियों को सहायता करता है जो आतंकवाद का समर्थन नहीं करते हैं। पेरिस हमलों के बाद फ्रांसीसी मीडिया की कवरेज का जिक्र करते हुए राठौर ने कहा- क्या आपने अपने टीवी पर खून का एक कतरा तक देखा? गोली का एक भी निशान या इससे भी महत्त्वपूर्ण चीज कि एक शोकाकुल मां, एक शोकाकुल पत्नी, एक शोकाकुल बेटी को देखा? आपने नहीं देखा होगा।

उन्होंने कहा कि भारत में चैनलों के बीच ऐसी प्रतिस्पर्धा है कि कोई हद नहीं रहती है और अगर एक चैनल मां से बात करता है तो दूसरा चैनल पत्नी या बेटी से बात करता है। उन्होंने कहा कि सरकार कोई नियमन लाकर हालात को ठीक नहीं कर सकती। यह सिर्फ स्वनियमन के जरिए संभव होगा। उन्होंने कहा- एक चीज निश्चित है कि पे्रस की आजादी इस देश में कभी नहीं सिकुड़ेगी। प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया के जरिए आप जितनी शक्ति रखते हैं, वो सीमाओं से आगे जाता है। इस तरह आपके पास काफी जिम्मेदारी होनी चाहिए।