देश के मशहूर उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने एक सांस थाम देने वाली घटना का खुलासा किया। यह घटना उनके साथ तब घटी थी जब वह कॉलेज में पढ़ते थे। उस वक्त वह 17 वर्ष के नौजवान थे। इस घटना का खुलासा उन्होंने किसी चैनल के लिए बनने वाले अपने प्रोमोशनल वीडियो में किया, जो 27 सितंबर को प्रसारित होगा। इस वीडियो में रतन टाटा बताते हैं कि, कैसे उनके प्लेन का इंजन अचानक से कम करना बंद कर गया और किस तरह उन्होंने प्लेन को क्रैश होने से बचाया और खुद को मौत के मुंह से निकाला।

वो शुरू से बताते हुए बोलते हैं कि, उस समय में कॉलेज में था और मेरी उम्र 17 वर्ष की थी। 17 वर्ष की उम्र ही प्लेन को उड़ाने के लिए जरूरी पायलेट लाइसेंस के लिए वैध उम्र थी। वो आगे बोलते हुए कहते हैं कि , उस वक्त मेरे जैसे व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं था कि उड़ाने के लिए प्लेन हर बार मैं अकेले किराए पर ले सकूं। इसलिए मैंने अपने साथ वाले विद्यार्थियों को इसके बारे में बताया और उनसे कहा कि अगर तुम्हें प्लेन उड़ाना है तो चलते हैं और किराए का कुछ हिस्सा मैं दे दूँगा । मैं हमेशा ही इस तरह का सहयोग करने के लिए तैयार रहता था।

इस तरह उस दिन उन्होंने 3 अन्य इच्छुक विद्यार्थियों को प्लेन उड़ाने के लिए राजी कर लिया । और वो खुशी-खुशी प्लेन को उड़ाने की तैयारी करने लगे। लेकिन उनकी यह खुशी ज्यादा देर न ठहर सकी। क्योंकि कुछ समय बाद ही प्लेन के इंजन ने काम करना बंद कर दिया ।

इस पर रतन टाटा कहते हैं कि, पहले प्लेन बुरी तरह हिला और थोड़ी देर बाद उसका इंजन बंद होगया। जाहिर है कि अब तक उसकी बड़ी बड़ी पंखुड़ियां भी घूमना बंद कर चुकी थीं। अब आप बिना इंजन के प्लेन में हो और सिर्फ यह सोचना है कि कैसे सुरक्षित नीचे उतरा जाए। लेकिन अचंभे की बात थी कि मेरे साथ वाले सारे विद्यार्थी एकदम चुपचाप बैठे थे। वो बिल्कुल शांत रहे जबतक की हम नीचे नहीं पहुँच गए।

मुश्किल समय मे शांत मन से काम लेना ,रतन टाटा की शुरुआती खूबियों में से एक रही हैं। जिसने उन्हें उनके कैरियर के प्रारम्भिक दिनों में कई परेशानियों से उबारने में साथ दिया। और इस वक्त फिर से उनकी वही ख़ूबी काम आयी।

उस वक्त उन्होंने क्या सोचा, क्या किया। इस पर रतन टाटा बताते हैं कि ,एक छोटे से हवाई जहाज में इंजन का बंद होना उतनी बड़ी समस्या नहीं है कि ,जिससे प्लेन क्रैश हो जाए। आपके पास पर्याप्त समय होता ,जो इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस ऊंचाई पर हो। इतने समय में आपको तय करना होता है कि प्लेन कहाँ उतारना है? आप सिर्फ उत्तेजित होकर चिल्ला नहीं सकते कि इंजन बंद हो गया ,इंजन बंद हो गया।

विपरीत परिस्थितियों में भी शांत चित्त से काम लेना ,रतन टाटा की जन्मजात विशेषताओं में से एक था। उन्होंने जीवन मे कभी सन्तुलन नहीं खोया यही उनकी सफलता का बड़ा राज है।