गायों के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि केंद्र और राज्यों को विशेष रूप से ‘गाय हॉस्टल ’के लिए हर शहर में 10-15 जगह आवंटित करें। ये जगह विशेष रूप से उन लोगों के लिए आवंटित करना चाहिए जो केवल दूध की खपत में रुचि रखते हैं और इससे राजस्व भी कमाते हैं। अयोग के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “मैं पहले ही शहरी विकास मंत्रालय को गाय छात्रावासों के लिए एक दिशानिर्देश बनाने का अनुरोध कर चुका हूं, जिसे शहरी नियोजन ढांचे में शामिल किया जा सकता है।”
कथीरिया ने कहा। “जगह की कमी शहरों में गायों को रखना आसान नहीं होता। अगर नगरपालिका ऐसे हॉस्टल स्थापित करने के लिए जगह आवंटित कर देती है तो 25-50 लोग साथ मिलकर गाय हॉस्टल स्थापित कर सकते हैं। इन हॉस्टलों के रखरखाव के लिए वे भुगतान कर सकते हैं और अपने स्वयं के मवेशियों के दूध का उपयोग भी कर सकते हैं।”
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को पत्र लिखने के अलावा, अयोग के अध्यक्ष ने कई राज्य सरकारों और नगर निगमों को इस मुद्दे पर चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में उन्होंने उनसे गाय छात्रावास स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के छात्रावास होने की अवधारणा गुजरात में कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में पहले ही सफलतापूर्वक प्रयोग की जा चुकी है।
कथीरिया ने कहा “इसे आसानी से देश भर में शहरी क्षेत्रों में बनाया जा सकता है। इन हॉस्टलों को ऐसी जमीन पर स्थापित किए जा सकता है जो निजी व्यापारियों को किराए पर या पट्टे पर दी जा सकती हैं। इच्छुक लोग अपनी पसंद की गाय रख सकते हैं। यदि मात्रा उनके उपभोग से परे है तो वे दूध भी बेच सकते हैं। गाय के गोबर और मूत्र का उपयोग जैविक खाद बनाने और ऐसे छात्रावासों के रखरखाव के लिए गोबर गैस संयंत्र द्वारा पैसा भी कमाया जा सकता है।”