डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की पैरोल से जुड़ी याचिका को चुनाव आयोग ने सशर्त स्वीकार कर लिया है। वह बलात्कार के आरोप में 20 साल की सजा के तहत जेल में बंद है। राम रहीम सिंह ने 5 अक्टूबर को होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 20 दिन की अस्थायी पैरोल मांगी थी। जिसे हरियाणा सरकार ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास विचार के लिए भेज दिया था। चुनाव आयोग ने तीन शर्तों के तहत हरियाणा सरकार को उसके अनुरोध को स्वीकार करने की इजाजत दी है। जानिए क्या हैं तीन शर्तें:
किन शर्तों के तहत मिली इजाजत?
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की पैरोल से जुड़ी याचिका पर चुनाव आयोग ने इजाजत देते हुए कहा कि वह हरियाणा नहीं जा सकता, किसी के लिए चुनाव प्रचार नहीं कर सकता और सोशल मीडिया के जरिए भी कोई अपील नहीं कर सकता। किसी भी उल्लंघन पर पैरोल तत्काल रद्द हो सकती है। चुनाव आयोग की मंजूरी के साथ ही हरियाणा सरकार द्वारा जल्द ही रिहाई के लिए आदेश जारी किए जाने की उम्मीद है। इससे पहले गुरमीत राम रहीम 13 अगस्त को दी गई 21 दिन की फरलो के बाद 2 सितंबर को सुनारिया जेल लौट आया था।
अब तक 259 दिन जेल से बाहर रहा है राम रहीम
राम रहीम को लगातार मिल रही पैरोल पर अब सवाल भी उठने लगे हैं। अब चुनाव के वक़्त में पैरोल की याचिका पर भी कई सवाल खड़े हुए हैं। 2020 से अब तक डेरा प्रमुख को अब तक फरलो और पैरोल के माध्यम से।14 बार अस्थायी रिहाई दी गई है, जो कुल 259 दिनों की है। गुरमीत राम रहीम की 19 जनवरी को पैरोल आम चुनावों से जुड़ी थी, जबकि 13 अगस्त से शुरू होने वाली उनकी 21 दिन की फरलो 5 अक्टूबर को होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव के साथ मेल खाती है।
इस ही तरह 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान डेरा प्रमुख को 7 फरवरी से 27 फरवरी तक 21 दिन की फरलो दी गई थी। 17 जून, 2022 को उनकी आठवीं रिहाई भी हरियाणा नगर निगम चुनावों के वक़्त ही दी गई थी। राम रहीम हत्या और बलात्कार के मामले में 20 साल की सजा काट रहा है। वह रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है।