अयोध्या विवाद पर शुक्रवार (चार जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सुनवाई लगभग एक मिनट चली। उस दौरान किसी भी पक्ष ने अपना तर्क नहीं पेश किया। कोर्ट ने इसके बाद राम मंदिर को लेकर करीब पांच सेकेंड के भीतर अगली तारीख दे दी। कहा कि अब तीन जजों वाली नई बेंच 10 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करेगी। बता दें कि नई बेंच इलाहाबाद हाईकोर्ट के सिंतबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, “क्या यह राम जन्म भूमि विवाद का मामला है? अगला आदेश उचित बेंच द्वारा 10 जनवरी को दिया जाएगा।” इस बेंच में जस्टिस एस.के.कौल भी शामिल थे। बेंच ने इसके अलावा उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें अयोध्या विवाद को लेकर समयबद्ध सुनवाई की मांग की गई थी।

हालांकि, इस बेंच में कौन-कौन होगा? यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 10 जनवरी को ही इस बेंच के बारे में पता लगेगा। सूत्रों के हवाले से टीवी रिपोर्ट्स में कहा गया कि नई बेंच में जज कौन होंगे, ये बाद में तय होगा। मामले पर सुनवाई रोज होगी या नहीं? यह भी अगली सुनवाई के दौरान ही पता चलने की संभावना है।

इससे पहले, 28 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अयोध्या विवाद पर जनवरी के पहले सप्ताह में सुनवाई की तारीख तय की जाएगी, जबकि 27 सितंबर को तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नजीर ने 2:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था कि इस मामले की सुनवाई के लिए बड़ी बेंच की कोई आवश्यकता नहीं है।

दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन जजों वाली बेंच ने 30 सितंबर 2010 को 2:1 के बहुमत से कहा था कि 2.77 एकड़ में फैली जमीन को तीन हिस्सों में बराबर-बराबर बांट दिया जाए। इनमें 1-सुन्नी वक्फ बोर्ड, 2- निर्मोही अखाड़ा और 3-राम लला का नाम था। हालांकि, यह फैसला किसी भी पक्ष ने नहीं स्वीकारा था। यही नहीं, बाद में इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसके बाद नौ मई 2011 को हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी गई थी।