किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि एमएसपी पर जब तक कानून नहीं बनता तब तक किसान अपने घर वापस नहीं जाएंगे। उनका इंटरव्यू करने वाले पत्रकार ने कहा कि इस कवायद में जितने थोड़े से काले बाल हैं, कहीं वे भी सफेद न हो जाएं। इस पर टिकैत ने कहा कि मरते दम तक वो यहीं रहेंगे। इसके अलावा वो कहां भी जा सकते हैं। उनकी मांग पूरी तरह से जायज है।
दरअसल, पत्रकार ने उनसे कहा था कि अगर एमएसपी पर कानून बन जाता है तो आजाद भारत में लैंड रिफार्म के बाद यह सबसे बड़ी घटना होगी। उनका सवाल था कि एमएसपी लागू करने से सरकार पर कितना बोझ पड़ेगा, यह किसानों को पता है? पत्रकार ने मजाकिया लहजे में कहा कि मांग लागू करवाने के फेर में कहीं उन्हें लंबे समय तक आंदोलन न करते रहना पड़ जाए।
टिकैत ने कहा कि पीएम मोदी ने कहा कि एमएसपी था, है और रहेगा। किसान अपनी फसल कहीं पर भी बेच सकता है। टिकैत का कहना था कि अब वो अपनी फसल को बेचने के लिए मीडिया हाउस के दफ्तरों के सामने जाएंगे। एसडीएम दफ्तर पर जाकर भी किसान फसल बेचेगा। अगर पुलिस वाला रोकता है तो किसान उससे ही आग्रह करेगा कि वो एमएसपी पर उनकी फसल खरीदे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि परिवार के लोगों ने भी उनसे कह दिया है कि जब तक कानून निरस्त नहीं होते, तब तक घर मत लौटना।
चुनावी राज्यों में प्रचार के सवाल पर टिकैत का कहना था कि वह अपनी मांगों को लेकर देश भर के किसानों को एकजुट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल में लोगों से कहा गया है कि बीजेपी को वोट न दें। अगर बीजेपी से कोई वोट मांगने आता है तो पहले उससे धान की कीमत और एमएसपी पर बात करें। उन्होंने कहा कि हम अपनी बात जनता के सामने रख रहे हैं। ये चीज चुनाव के बाद ही पता चलेगी कि जनता ने उन्हें कितना समर्थन दिया।
टिकैत ने कहा कि वह राजनीतिक सिस्टम से दूर हैं। चुनावी राज्यों में वह सरकार के खिलाफ वोट देने की अपील कर रहे हैं। उनका कहना था कि वह कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे। राजनीति एक बीमारी है। उनका कहना था कि देश के किसानों को एकजुट करने के लिए सारे देश का भ्रमण करने जा रहे हैं। देश का किसान बर्बाद हो गया है। सरकारी संपत्ति लगातार बिक रही है। देश को बचाना ही उनका पहला मकसद है। वह सारे मुद्दों को उठाने जा रहे हैं। 26 मार्च को इसके लिए भारत बंद का ऐलान किया गया है। टिकैत ने कहा कि सरकार को किसानों से बात करनी चाहिए।