किसान आंदोलन को लेकर सरकार की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। एक तरफ जहां सदन के भीतर विपक्ष मोर्चाबंदी तेज कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ किसान खुद सरकार को घेरने की तैयारी कर चुके हैं। किसान संगठनों ने ऐलान किया है कि वह 22 जुलाई से संसद की तरफ कूच करेंगे। दिल्ली पुलिस ने उनसे लोगों की संख्या कम रखने की अपील की है। किसानों ने साफ कर दिया है कि 22 जुलाई से रोज संसद जाएंगे, सुबह से शाम कर विरोध करेंगे और फिर लौट आएंगे। यह सिलसिला मानसून सत्र के दौरान हर दिन चलेगा। किसानों की तैयारी को लेकर समाचार चैनल आजतक की एंकर अंजना ओम कश्यप ने किसान नेता राकेश टिकैत से बातचीत की।

एंकर अंजना ओम कश्यप ने जब बातचीत की शुरुआत में उनसे पूछा कि सरकार ने आपको एक बार फिर से बातचीत का निमंत्रण भेजा है, तो आप सरकार से बात करिए। आखिर कब तक गर्मी में इस तरह से बैठे रहेंगे। उनके जवाब में टिकैत ने कहा कि बात तब ही होगी जब कोई शर्त नहीं लगेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने जब कह दिया है कि कानून वापिस नहीं होगा लेकिन बातचीत के लिए तैयार है तो बात करने का क्या फायदा। बकौल टिकैत, जब फैसला सुना दिया है तो फिर बात करने का क्या फायदा।

अंजना ओम कश्यप ने कहा कि आप अगर बातचीत से पहले ही उसे शक की निगाह से देखेंगे तो नतीजा कैसे निकलेगा। सहमति के लिए आपसी बातचीत ही एक जरिया है, इसे आपने नाक की लड़ाई क्यों बनाया है। जवाब में टिकैत ने कहा कि इसे हमने नाक की नहीं बल्कि नाश की लड़ाई बना लिया है। गांवों के हालात देखिए, किसानों को मिलने वाले दाम बढ़ेंगे तो ही गांवों का विकास होगा। उन्होंने कहा कि सरकार हमसे कहती है कि आप प्रावधान पर बात करें। जब हमने सरकार से एमएसपी पर चर्चा करनी चाही तो सरकार कानून पर चर्चा की बात कहने लगी। बीकेयू नेता ने कहा कि दरअसल सरकार ही बातचीत नहीं करना चाहती है।

राकेश टिकैत ने कहा कि मोदी सरकार के मंत्रियों के पास कोई ताकत नहीं है। उन्हें मंत्री सिर्फ बयानबाजी के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा कि मंत्रियों के पास फैसला लेने की क्षमता आएगी तो बातचीत भी हो जाएगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार गन्ने की तरह होती है, जब उसको चोट मारिए तो वह कोई रस नहीं देता है, लेकिन जब उस पर दबाव पड़ता है तो उसका रस बाहर निकल आता है।

कार्यक्रम के दौरान राकेश टिकैत ने कहा कि आज सरकार के खिलाफ सारे किसान अपने गांवों में तैयार बैठे हैं। अगर सरकार ने किसानों को परेशान करने वाला कदम उठाया तो गांवों में भी कदम उठेंगे।