राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति मंगलवार (20 मार्च) को सदन के सदस्यों के आचरण से बेहद नाराज हो गए। उन्होंने हंगामा करने वाले सदस्य को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि वे ऐसा ही करते रहेंगे तो वह खुद ही सदन से चले जाएंगे। दरअसल, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उच्च सदन को इराक में इस्लामिक स्टेट (आईएस) द्वारा अगवा सभी भारतीयों के मारे जाने की सूचना दी थी। आतंकियों ने इन्हें तकरीबन तीन साल पहले अपने कब्जे में ले लिया था। विदेश मंत्री ने मृतकों के शव बरामद होने की भी बात कही थी। इसके बाद राज्यसभा के सदस्य नारेबाजी करने लगे। यहां तक कि जान गंवाने वाले भारतीयों को श्रद्धांजलि देने के दौरान भी हंगामा नहीं थमा। इससे सभापति एम. वेंकैया नायडू नाराज हो गए। उन्होंने सांसदों के असंवेदनशील रवैये की कड़ी आलोचना की। नायडू ने कहा, ‘इस सदन के साथ दिक्कत क्या है? कृपया आपलोग शांत हो जाइए नहीं तो मैं सदन से चला जाऊंगा।’ हालांकि, सभापति की चेतावनी का हंगामा करने वाले सदस्यों पर कोई असर नहीं पड़ा। इस मुद्दे पर लोकसभा में भी भारी हंगाम हुआ। यहां तक कि विदेश मंत्री अपना बयान भी नहीं दे सकीं। इराक में अगवा सभी भारतीयाें के मारे जाने की खबर से पीड़ित परिवारों में शोक की लहर दौड़ गई। अपने प्रियजनों से मिलने की उम्मीद जाती रही।
आईएस ने मोसुल में 40 लोगों को अगवा कर लिया था। सुषमा स्वराज ने सदन को बताया कि उनमें से एक खुद को बांग्लादेशी मुसलमान बताकर आतंकियों के चंगुल से आजाद होने में सफल रहा था। आतंकी सभी लोगों को बदूश शहर ले गया था, जहां उनकी हत्या कर दी गई थी। तलाशी अभियान के दौरान बदूश में एक टीले का पता चला। स्थानीय लोगों ने यहां कुछ लोगों को दफनाने की बात कही थी। बाद में इसके सामूहिक कब्र होने की पुष्टि की गई। सुषमा स्वराज ने बताया कि इराकी विदेश मंत्री से बात कर सभी शवों को निकालने का आग्रह किया गया है। उन्होंने सदन को बताया कि यहां पर सिर्फ 39 शवों को ही दफनाया गया था। आईडी, जूते (जिसे आमतौर पर इराक में नहीं पहने जाते हैं) और लंबे बालों से इनके भारतीय होने की पुष्टि हुई। इसके अलावा इनका डीएनए टेस्ट भी कराया गया था। इसमें उनके भारतीय नागरिक होने की पुष्टि हुई। विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह इराक जाएंगे। सभी शवों को विशेष विमान से भारत लाया जाएगा।

