संसद का विशेष सत्र शुरू हो गया है। यह सत्र 5 दिनों तक चलेगा। वहीं देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीश धनखड़ ने विशेष क्षेत्र के दौरान बड़ी घोषणा की। राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही उपसभापतियों के पैनल की घोषणा की गई। इस दौरान इस पैनल में 50 फ़ीसदी महिला सदस्यों को नॉमिनेट किया गया है।
बता दें कि राज्यसभा में उप सभापतियों के पैनल की नियुक्ति राज्यसभा के सभापति की ओर से की जाती है। इस बार 50 फीसदी महिलाओं को जगह दी गई है। वहीं जगदीप धनखड़ ने कहा यह तो बस शुरुआत है। इसके अलावा उपराष्ट्रपति धनखड़ ने G-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन पर पूरे देश को बधाई दी। उन्होंने कहा कि G-20 के सफल आयोजन ने पूरे देश के दिलों को गर्व से भर दिया है।
संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल को भी लाने पर चर्चा चल रही है। बता दें कि पिछले 27 साल से महिला आरक्षण बिल पास नहीं हो पा रहा है। माना जा रहा है कि बीजेपी जल्द ही संसद में महिला आरक्षण बिल पेश कर सकती है।
महिला आरक्षण विधेयक को लेकर राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “हम बहुत दिनों से महिला आरक्षण बिल लाने की कोशिश कर रहे हैं। इस समय राज्यसभा में 10 % महिला और लोकसभा में 14% महिला सांसद हैं। वहीं विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी 10% है। 1952 में नेहरू जी के प्रधानमंत्री काल में केवल 5% महिलाएं सांसद थीं, लेकिन 70 साल बाद भी यह आंकड़ा 14%-15% के अंदर ही है।”
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए X पर पोस्ट करते हुए लिखा, ” महिलाओं के लिए संसद और विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी संविधान संशोधन विधेयक लेकर आए। यह विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ, लेकिन लोकसभा में न जा सका। राज्यसभा में पारित हुए विधेयक समाप्त नहीं होते, इसलिए महिला आरक्षण विधेयक अभी भी एक्टिव है।पिछले 9 साल से महिला आरक्षण का यह विधेयक लोकसभा में पास होने की राह देख रहा है, लेकिन महिला विरोधी मानसिकता से ग्रसित मोदी सरकार इसे अनदेखा कर रही है।”