राजीव श्रीवास्तव ने एविएशन और लैंडस्केप फोटोग्राफी के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वाराणसी के रहने वाले राजीव का नाम आज देश-विदेश के चुनिंदा एविएशन फोटोग्राफर्स में शामिल हो चुका है। उन्होंने अब तक देश के 87 से अधिक एयरपोर्ट्स को अपने कैमरे में कैद किया है और उनकी तस्वीरों को कई प्रतिष्ठित स्थानों पर प्रदर्शित किया गया है। उनकी तस्वीरें सिर्फ हवाई अड्डों की सुंदरता को नहीं दिखातीं, बल्कि हर एयरपोर्ट के पीछे छिपी संस्कृति, इतिहास और विकास की कहानियों को भी उजागर करती हैं।

पिता सरकारी सेवा में थे और मां स्कूल टीचर रही हैं

राजीव के इस सफर की शुरुआत उनके बचपन में हुई, जब अरुणाचल प्रदेश में उनके पिता के साथ हेलीकॉप्टर से यात्रा करने का मौका मिला। उनके पिता सरकारी सेवा में थे और अरुणाचल प्रदेश में ज्वाइंट डायरेक्टर एजुकेशन के रूप में कार्यरत थे, जबकि उनकी मां एक स्कूल टीचर थीं। इस दौरान उन्होंने आसमान से धरती का जो विहंगम दृश्य देखा, उसने उनके अंदर लैंडस्केप और एविएशन फोटोग्राफी के प्रति रुचि जगा दी। इसके बाद उन्होंने इस क्षेत्र में करियर बनाने का फैसला किया और लगातार मेहनत से आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं।

राजीव का कहना है कि एविएशन फोटोग्राफी केवल एयरपोर्ट की भौतिक सुंदरता को दिखाने तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह वहां की संस्कृति, विकास और यात्रियों की अनकही कहानियों को भी उजागर करती है। उन्होंने नोएडा, लखनऊ, वाराणसी और विजयवाड़ा एयरपोर्ट्स पर विशेष फोटो प्रोजेक्ट्स किए हैं, जिनमें स्थानीय संस्कृति और पर्यटन को खास तौर पर दर्शाया गया है। विजयवाड़ा एयरपोर्ट के लिए खींची गई तस्वीरों में आंध्र प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत को उकेरा गया है, जबकि वाराणसी और लखनऊ एयरपोर्ट्स पर खींची गई तस्वीरें वहां के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती हैं।

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इसके अलावा, राजीव ने “100 Airports of New India” नामक कॉफी टेबल बुक में भी अपना योगदान दिया है, जिसे प्रधानमंत्री ने लॉन्च किया था। इस किताब में भारत में एविएशन सेक्टर के विकास को शानदार तस्वीरों के जरिए प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने अडानी ग्रुप के एयरपोर्ट्स और नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (NSG) पर डॉक्यूमेंट्री फिल्में भी बनाई हैं। हाल ही में, उन्होंने नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए भी एक विशेष फिल्म बनाई है। यह फिल्म एयरपोर्ट निर्माण से लेकर उसके प्रभाव तक की पूरी कहानी को बयां करती है।

राजीव का मानना है कि एक फोटोग्राफर के नजरिए से एयरपोर्ट केवल उड़ानों और यात्रियों के लिए एक स्थान नहीं होता, बल्कि यह एक ऐसा केंद्र होता है जहां लोगों की अनगिनत कहानियां बनती हैं। यात्रियों के चेहरे के भाव, हवाईअड्डे पर उनकी गतिविधियां और वहां की बनावट, हर चीज एक अनकही दास्तान कहती है। उनकी तस्वीरों में यही कहानियां जीवंत होती हैं।

राजीव आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाने की योजना बना रहे हैं। फिलहाल, वे वाराणसी पर आधारित एक नई कॉफी टेबल बुक पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा, वे एक फोटोग्राफी कॉलेज खोलने की योजना बना रहे हैं, ताकि छोटे शहरों के प्रतिभाशाली युवा इस क्षेत्र में अपने करियर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकें। उनका कहना है कि छोटे शहरों में भी बेहतरीन प्रतिभाएं छिपी होती हैं, जिन्हें अगर सही मार्गदर्शन और अवसर मिले, तो वे भी वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना सकती हैं।

उनका मानना है कि फोटोग्राफी केवल एक कला नहीं, बल्कि एक दृष्टिकोण है, जिससे हम दुनिया को एक अलग नजरिए से देख सकते हैं। एविएशन फोटोग्राफी के माध्यम से उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर जुनून और समर्पण हो, तो कोई भी ऊंचाई छूना असंभव नहीं है।