अमेरिका के न्यूयॉर्क में शुक्रवार (12 अगस्त) को बुकर पुरस्कार विजेता लेखक सलमान रुश्दी पर हमला हुआ। सलमान रुश्दी पर उस समय हमला किया गया जब वे न्यूयॉर्क में भाषण देने वाले थे। रुश्दी जब मंच पर अपने संबोधन के लिए पहुंचे, उस दौरान हमलावर ने लेखक पर चाकू से कई वार किए। हमलावर को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। वहीं, पूर्व मंत्री नटवर सिंह ने रुश्दी की किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ पर बैन को सही ठहराया है।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार में मंत्री रहे के. नटवर सिंह ने लेखक की विवादित किताब को बैन करने के तत्कालीन सरकार के फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। नटवर सिंह ने शनिवार को कहा कि जब भारत ने 1988 में सलमान रुश्दी की किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ पर प्रतिबंध लगाया था तो यह प्रतिबंध पूरी तरह से जायज था और वह भी इस फैसले का हिस्सा थे।
राजीव गांधी को बैन लगाने की दी थी सलाह: पूर्व मंत्री ने बताया कि उस समय उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को इस किताब पर बैन लगाने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि मैंने भी कहा था कि इस किताब पर जरूर बैन लगाना चाहिए क्योंकि इससे कानून व्यवस्था की समस्या हो सकती है।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए नटवर सिंह ने उन आरोपों को गलत करार दिया जिसमें कहा गया कि राजीव गांधी सरकार ने किताब को प्रतिबंधित करने का फैसला मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते लिया था। पूर्व मंत्री ने कहा, “मैं नहीं मानता कि किताब को बैन करने का फैसला गलत था क्योंकि इससे कानून व्यवस्था में दिक्कत हुई थी खासतौर पर कश्मीर में। भारत के कई हिस्सों में भी उसकी वजह से अशांति पैदा हुई थी।’’
रुश्दी जैसे महान लेखक की किताब पर बैन: नटवर सिंह ने बताया कि राजीव गांधी ने मुझसे पूछा था कि क्या किया जाना चाहिए। जिसके जवाब में मैंने कहा, “मैंने पूरी जिंदगी किताबों पर बैन का विरोध किया है, लेकिन जब कानून व्यवस्था की दिक्कत आए तो रुश्दी जैसे महान लेखक की किताब भी बैन की जानी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि रुश्दी की किताब ‘मिडनाइट चिल्ड्रेन’ 20वीं सदी के महान उपन्यासों में से एक है, लेकिन ‘द सैटेनिक वर्सेज’ को बैन करने का फैसला पूरी तरह से सही था।
गौरतलब है कि सितंबर 1988 में ‘द सैटेनिक वर्सेज’ के प्रकाशन के बाद से सलमान रुश्दी को कई बार जान से मारने की धमकियां मिली। इस किताब के लिए ईरान के दिवंगत धार्मिक नेता अयातुल्ला रुहोल्ला खुमैनी ने एक फतवा जारी किया था जिसमें रुश्दी की मौत का फरमान किया गया था। ईरान ने रुश्दी को मारने वाले को 30 लाख डॉलर से ज्यादा का इनाम देने की पेशकश की थी।