देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज 28वीं पुण्यतिथि है। बता दें कि 21 मई, 1991 में एक बम विस्फोट में राजीव गांधी का निधन हो गया था। राजीव गांधी के निधन के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीवी नरसिम्हा राव ने प्रधानमंत्री पद संभाला था। लेकिन यह बात जानकर कई लोगों को आश्चर्य होगा कि पीवी नरसिम्हा राव पीएम पद की पहली पसंद नहीं थे। दरअसल सोनिया गांधी कांग्रेस के किसी अन्य नेता को प्रधानमंत्री बनाना चाहतीं थी। वो शख्स थे कांग्रेस नेता और देश के पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा। आईएएनएस के साथ बातचीत में कांग्रेस नेता नटवर सिंह ने बताया कि राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों ने सोनिया गांधी से पीएम पद संभालने की मांग की, लेकिन सोनिया गांधी इसके लिए तैयार नहीं थी। इसके बाद पीएन हक्सर के साथ चर्चा करने के बाद सोनिया गांधी ने शंकर दयाल शर्मा को प्रधानमंत्री बनाने का फैसला किया। पीएन हक्सर वरिष्ठ नौकरशाह थे और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सलाहकार और गांधी परिवार के काफी करीबी थे। यही वजह थी सोनिया गांधी ने भी पीएम पद जैसे अहम फैसले के संबंध में पीएन हक्सर से सलाह-मशविरा किया।

नटवर सिंह बताते हैं कि सोनिया गांधी के कहने पर वह और अरुणा आसफ अली उनका संदेश लेकर शंकर दयाल शर्मा के पास गए। लेकिन शंकर दयाल शर्मा ने यह जिम्मेदारी उठाने से इंकार कर दिया। शंकर दयाल शर्मा ने अपनी बढ़ती उम्र और खराब सेहत का हवाला दिया। बता दें कि उस वक्त शंकर दयाल शर्मा उप-राष्ट्रपति के पद पर थे और बाद में वह देश के राष्ट्रपति बने। शंकर दयाल शर्मा के इंकार के बाद नटवर सिंह ने इसकी जानकारी सोनिया गांधी को दी। इसके बाद हक्सर, नटवर सिंह ने सोनिया गांधी के साथ मिलकर नेतृत्व को लेकर चर्चा की। इस चर्चा के दौरान हक्सर ने पीवी नरसिम्हा राव का नाम सुझाया। जिस पर सोनिया गांधी ने भी अपनी सहमति दे दी।

उल्लेखनीय है कि पीवी नरसिम्हा राव को जब प्रधानमंत्री बनाने का फैसला किया गया, उस वक्त राव को पार्टी ने राज्यसभा में फिर से भेजने से इंकार कर दिया था और वह आंध्र प्रदेश वापस लौटने की तैयारी कर रहे थे। इसके बाद जब नरसिम्हा राव को पीएम बनने का ऑफर मिला तो उन्होंने इस ऑफर को तुरंत स्वीकार कर लिया।

बता दें कि राजीव गांधी की जब हत्या हुई, उस वक्त लोकसभा चुनाव चल रहे थे और राजीव गांधी का हत्या से एक दिन पहले ही पहले चरण का मतदान हुआ था। पहले चरण के मतदान में कांग्रेस बहुत अच्छी स्थिति में नहीं थी। राजीव गांधी की हत्या के बाद चुनावों पर कुछ समय के लिए रोक लगा दी गई। इसके बाद जब कुछ समय बाद फिर से चुनाव हुए तो कांग्रेस को लोगों को सहानुभूति के चलते बंपर समर्थन मिला और पार्टी 244 सीटें जीतने में सफल रही।