राजस्थान में खुद को बाबा बताने वाले स्वामी कौशलेंद्र प्रपन्नाचारी फलाहारी महाराज उर्फ फलाहारी बाबा को बलात्कार के मामले में बुधवार (26 सितंबर) को यहां की एक अदालत ने दोषी करार दिया। बाबा को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। उसने आश्रम में 21 साल की महिला से बलात्कार किया था। पीड़िता मूल रूप से छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की रहने वाली है। मंगलवार (25 सितंबर) को इस मामले में अपर जिला एवं सेशन जज राजेंद्र शर्मा की अदालत में दोनों पक्षों को सुनने के बाद बहस पूरी हुई थी। जज ने तब फैसले के लिए बुधवार का दिन निर्धारित किया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीड़िता के घर वाले बाबा को 1986 से मानते थे। पढ़ाई के बाद उसे इंटर्नशिप के जरिए एक चेक मिला, जो वह दान करने आश्रम गई। बाबा ने वहां उससे लैपटॉप चालू कराया और कमरा बंद कर गंदी हरकतें कीं। कुछ देर बाद किसी शिष्य ने दरवाजा खटखटाया, तो पीड़िता वहां से बचकर भाग निकली। फिर 11 सितंबर को उसने बिलासपुर में बाबा के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज कराया था।
शिकायत पर पुलिस पीड़िता को लेकर आश्रम पहुंची। बाबा के कमरे से लैपटॉप, कैमरा, आयुर्वेदिक दवाएं सहित महिलाओं की दर्जन भर पायलें मिलीं। बता दें कि बाबा का नाम फलाहारी इसलिए पड़ा, क्योंकि वह सिर्फ फल और गंगाजल का सेवन करता है। वह न तो किसी को छूता था और न हीं किसी को खुद को छूने देता है। वह अपने पास एक डंडा रखता है, जिसे लोगों को छुआ कर वह आशीर्वाद देता है। बाबा को इसके अलावा राजनीति में काफी रुचि है।
70 वर्षीय बाबा को इससे पहले शनिवार को अलवर पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जबकि 20 सितंबर को उसके खिलाफ पीड़िता ने शिकायत दी थी। एडिश्नल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उसके बाद 23 सितंबर को बाबा को 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। गिरफ्तारी के बाद उसे अलवर के एक सरकारी अस्पताल ले जाया गया था।
पुलिस ने वहां उसका मेडिकल टेस्ट कराया, जिसमें उसका शुगर लेवल और बीपी सामान्य पाया गया था। उससे पहले, 15 सितंबर को मामले में अंतिम बहस शुरू हुई थी। कोर्ट में बहस के दौरान सरकारी वकील ने कहा था कि पीड़िता आरोपी को पिता जैसा मानती थी। बाबा ने उसके साथ जो भी किया, उसके पर्याप्त सबूत और गवाह हमारे पास हैं।