राजस्थान के सबसे बड़े घूस कांड में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने उदयपुर की भ्रष्टाचार निवारण अदालत में आठ आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर दिया है। ब्यूरो ने इन आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूतों को आधार बना कर आरोपपत्र दाखिल किया है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को रखी है। इस मामले में गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी अभी जेल में है और निचली अदालत से उनकी जमानत अर्जियां खारिज भी हो चुकी हैं।
ब्यूरो के आइजी दिनेश एमएन ने गुरुवार को यहां बताया कि इस मामले में खनिज विभाग के प्रमुख सचिव रहे निलंबित आइएएस अफसर अशोक सिंघवी समेत विभाग के दो अधिकारी, खान मालिक और दलाल अभियुक्त है। इन लोगों की गिरफ्तारी के 51 दिन बाद ही ब्यूरो ने अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिया। आरोपपत्र दाखिल करने के लिए जयपुर से ब्यूरो के जांच अधिकारी शंकर दत्त शर्मा गुरुवार को उदयपुर पहुंच गए थे। ब्यूरो के चार्जशीट पेश करने के दौरान सभी आरोपियों को अदालत में लाया गया।
अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख तय करने के बाद आरोपियों को फिर से जेल भेज दिया। ब्यूरो ने इस मामले में उदयपुर में खनिज विभाग के इंजीनियर पंकज गहलोत को ढाई करोड़ की घूस के मामले में गिरफ्तार किया था। इस घूस के खेल में भीलवाड़ा के इंजीनियर पीआर आमेटा को भीलवाड़ा से गिरफ्तार किया गया था। आइएएस अफसर अशोक सिंघवी को जयपुर से गिरफ्तार किया गया था। इन सभी को 16 सितंबर को गिरफ्तार कर ब्यूरो ने कई दिनों तक रिमांड पर रखा था। इससे ही पूरे घूस का खेल उजागर हुआ था।
राज्य में इस घूस कांड के बाद खनिज विभाग ने करीब 600 खदानों का आबंटन निरस्त भी कर दिया था। ये सभी खदानें नियमों के खिलाफ आबंटित होने की जानकारी सरकार के पास पहुंची थी। इस मामले में सरकार के आला अफसर की गिरफ्तारी से नौकरशाही में हड़कंप मच गया था। प्रदेश में इस घूस कांड के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अफसरों के बीच तनातनी हो गई थी। सरकार ने ब्यूरो में अफसरों के विवाद को देखते हुए डीजी नवदीप सिंह और एक आईजी हवा सिंह घूमरिया का तबादला भी कर दिया है।