सरकारी नौकरी की उम्मीद लगाए बैठे बेरोजगार युवाओं के सपने सरकार एक ही झटके में खत्म करने में लगी हुई है। राजस्थान में ऐसा ही मजाक विद्यालय सहायक के पदों की भर्ती में हुआ है। प्रदेश में विद्यालय सहायक के 33 हजार पदों के लिए पांच साल पहले करीब 12 लाख युवाओं ने आवेदन किया था। इस भर्ती का मामला सुप्रीम कोर्ट में अटका हुआ है पर सरकार ने हाल में विधानसभा में एक सवाल के उत्तर में कहा कि यह भर्ती निरस्त हो चुकी है। इस पद के लिए आवेदन करने वाले युवा समझ रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट से फैसला उनके हक में आएगा और सरकार भर्ती की प्रक्रिया अपनाएगी।

राज्य में करीब पांच साल पहले 21 जुलाई 2015 को राज्य सरकार ने संविदा पर काम कर रहे विद्यार्थी मित्रों के समायोजन के लिए भर्ती की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके तहत सरकार ने 33 हजार 493 पदों के लिए भर्ती निकाली थी। इसमें 12 लाख 3 हजार 13 आवेदकों ने आवेदन किया था। इस भर्ती मामले में शुरू से ही पेंच फंसा रहा और मामला अदालतों में पहुंचा।

पूर्व सरकार के दौरान सन 2013 में 27 हजार विद्यार्थी मित्रों के लिए 33 हजार शिक्षा सहायक पद के लिए भर्ती निकाली गई। इसमें अनुभव के आधार पर बोनस अंकों का प्रावधान किया गया। इसके तहत एक साल के अनुभव पर 10, दो साल के अनुभव पर 20 और तीन साल के अनुभव पर 30 अंक देने का प्रावधान किया गया। इन्हीं बोनस अंकों को लेकर विवाद पैदा हो गया। विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। उस दौरान सरकार ने इस भर्ती को रद्द कर दिया। इसके बाद सरकार ने विवाद दूर करने के मकसद से शिक्षा सहायक का नाम बदल कर विद्यालय सहायक के नाम से नई भर्ती का एलान कर दिया। इसमें वर्ष के अनुभव के आधार पर बोनस अंक घटाते हुए साक्षात्कार का प्रावधान कर उसके लिए 15 अंक रख दिए।

यह भर्ती भी पुरानी भर्ती की तरह विवादों में फंस गई। इस भर्ती में सबसे ज्यादा विवाद बोनस अंकों को लेकर रहा और मामला फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया। इस मामले में अब तक अदालत का कोई फैसला नहीं आया है। इसके बावजूद सरकार ने अब इसे निरस्त करके बेरोजगारों के सपने चूर कर दिए। इस भर्ती के जरिए ही सरकार के पास आवेदकों के शुल्क से 25 करोड रूपए जमा हो गए हैं। इस भर्ती की उम्मीद लगाए बैठे बेरोजगार युवा अब सरकार के मंत्रियों और अफसरों के चक्कर काट रहे है पर उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है।

विद्यालय सहायक की भर्ती का इंतजार कर रहे युवा आवेदकों ने निराश होकर अब धरने प्रदर्शन करने की तैयारी शुरू कर दी है। राजस्थान विद्यार्थी मित्र शिक्षक संघ के संयोजक अशोक सिहाग का कहना है कि सरकार की लापरवाही के चलते विद्यालय सहायक भर्ती अटकी हुई है। अदालत में ही पांच साल से मामला लंबित है। विद्यालय सहायक पद के इच्छुक आवेदक जल्द से जल्द नौकरी की उम्मीद लगाए बैठे हैं पर सरकार की तरफ से उन्हें किसी तरह की राहत मिलती नहीं दिख रही है। इस भर्ती को निरस्त करने की कभी सूचना भी जारी नहीं की गई और न ही शुल्क लौटाने की कार्रवाई सरकार की तरफ से हुई।

सरकार की तरफ से इस मामले को कैबिनेट मंत्री बीडी कल्ला देख रहे है। कल्ला का कहना है कि विद्यालय सहायक भर्ती का विज्ञापन सन 2015 में निकला था। उसके बाद संभवतया विवादों के चलते ही मामला अदालत में पहुंचा। इस भर्ती को पूर्व की सरकार ने ही निरस्त कर दिया था। भर्ती से जुड़े सभी प्रकरणों का अध्ययन करवाया जा रहा है। आवेदकों को राहत देने के लिए सरकार निश्चित तौर पर कार्रवाई करेगी और और भर्ती प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू करने के लिए विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी।