2019 के आम चुनावों से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की जान के खतरे को लेकर केंद्रीय और स्टेट एजेंसियों द्वारा एक सुरक्षा ऑडिट किया गया। एजेंसियों ने आरएसएस चीफ की सिक्योरिटी को राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के ब्लैक कैट कमांडो में अपग्रेड करने की सिफारिश की है। भागवत को वर्तमान में जेड-प्लस सुरक्षा कवर प्राप्त है, एसपीजी और एनएसजी के बाद तीसरी उच्चतम सुरक्षा है। इसमें 60 से अधिक सीआईएसएफ कमांडो उनकी सुरक्षा में चौबीस घंटे तैनात रहते हैं। खुफिया एजेंसियों ने भागवत के सुरक्षा जोखिम को बढ़ा दिया है, साउथ ब्लॉक के अधिकारियों ने कहा कि वे अभी भी इन रिपोर्टों का मूल्यांकन कर रहे थे और भागवत की सुरक्षा पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।

अधिकारियों ने ऐसे उदाहरणों की ओर इशारा किया जब राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हाल के चुनावों के दौरान भागवत की सुरक्षा का उल्लंघन हुआ था। ऐसा माना जाता है कि खतरे का आकलन भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (AQIS) और इस्लामिक स्टेट (IS) के भारत में मॉड्यूल द्वारा कथित साजिश का विश्लेषण करके किया गया है, जो दक्षिणपंथी नेताओं, विशेष रूप से आरएसएस और भाजपा के लोगों के खिलाफ हमले करते हैं।

एनआईए राइट विंग के नेताओं के खिलाफ कथित साजिश की जांच कर रही है। एनआईए ने हाल ही में दिल्ली और उत्तर प्रदेश में 10 युवाओं को गिरफ्तार किया था। पिछले साल पंजाब में कांग्रेस सरकार ने राज्य में आरएसएस नेताओं की हत्याओं को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान स्थित ISI द्वारा एक कथित साजिश का खुलासा किया था। 2017 में लुधियाना में दो अज्ञात मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने 60 साल के आरएसएस नेता रविंदर गोसाई की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इससे पहले, आरएसएस नेता ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा (टीटीडी) को जालंधर में गोली मार दी गई थी। बाद में लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई थी। हाल ही में, तमिलनाडु पुलिस ने छह युवकों को संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया कि वे इस्लामिक स्टेट से संबंध रखते हैं और आरोप लगाया कि वे राज्य में दक्षिणपंथी नेताओं को निशाना बनाने की योजना बना रहे थे।