चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट द्वारा चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के फूड वेंडर को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट, 2006 के तहत दोषी पाए जाने पर तीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह फूड वेंडर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को ब्रेड पकौड़े और समोसे के साथ ‘असुरक्षित’ टमाटर सॉस सर्व करता पाया गया था।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (CJM) सचिन यादव ने क्लासिक कैटरर्स के वेंडर सुशील कुमार को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट, 2006 के सेक्शन 51 और 59(i) के तहत दोषी ठहराया और उन्हें अदालत उठने तक की सजा सुनाई। कोर्ट ने सुशील कुमार को तीस हजार रुपये जुर्माना भरने का भी आदेश सुनाया। हालांकि इस दौरान कोर्ट ने क्लासिक कैटरर्स के एक नॉमिनी (उत्तर रेलवे, चंडीगढ़ के वेंडिंग कॉन्ट्रेक्टर) रविंदर सिंह को बरी कर दिया।
अगस्त 2014 का है मामला
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि चंडीगढ़ फूड सेफ्टी ऑफिसर (FSO) डीपी सिंह की शिकायत पर अगस्त 2014 में एक केस रजिस्टर किया गया था। डीपी सिंह ने शिकायत में बताया कि चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर मुआयना करते समय उन्होंने पाया कि क्लासिक कैटरर्स का वेंडर सुशील कुमार प्लेटफॉर्म नंबर दो पर अपनी ट्रॉली नंबर दो पर काम कर रहा है। FSO ने बताया कि सुशील कुमार के पास पांच लीटर प्लास्टिक कंटेनर में टमाटर वाली सॉस थी। इस कंटेनर पर को लेबल नहीं था।
FSO ने बताया कि जब सुशील कुमार से यात्रियों को दी ब्रेड पकोड़े और समोसे के साथ दी जा रही सॉस को लेकर सवाल किया गया तो उसने यह बताया से इनकार कर दिया कि उनसे सॉस कहां से खरीदी। सुशील कुमार ने सिर्फ यही जानकारी दी कि उसने ओपन मार्केट से सॉस 25 रुपये प्रति लीटर के रेट से खरीदी है। सुशील कुमार ने इसका कोई बिल भी नहीं दिखाया।
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इसके बाद FSO टीम ने सुशील कुमार से पचास रुपये में दो लीटर सॉस खरीदी। FSO ने आगे बताया, “टमाटर सॉस को चार बराबर हिस्सों में बांटा गया और हर पार्ट में 40 बूंदें फॉर्मेलिन डाली गईं, जो लगभग 500 ग्राम थीं। इसके बाद सॉस के सैंपल का एक हिस्सा 7 अगस्त 2014 को चंडीगढ़ में पंजाब फूड एनालिस्ट के पास भेजा गया और 19 अगस्त 2024 की रिपोर्ट के आधार पर सैंपल को लोगों के इस्तेमाल के लिए असुरक्षित घोषित किया गया।”
उन्होंने आगे कहा, “क्लासिक कैटरर्स के नॉमिनी की एप्लिकेशन के आधार पर सैंपल को दोबारा से चेक किया गया और वह फूड सेफ्टी एक्ट के नियमों के अनुरूप नहीं है। इसके बाद फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट, 2006 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया।”
बचाव पक्ष के वकील ने क्या कहा?
रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रायल के दौरान सुशील कुमार के वकील ने तर्क दिया कि “कार्यवाही में बड़ी खामियां हैं क्योंकि सैंपल लेते समय प्रॉसिक्यूशन द्वारा उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है और प्रॉसिक्यूशन द्वारा किसी भी स्वतंत्र गवाह को शामिल नहीं किया गया, जबकि वे उपलब्ध थे, जो एक गंभीर कमी है”।
बचाव पक्ष के वकील ने यह भी तर्क दिया कि “कथित नमूना अगस्त में लिया गया था जब बाहर बहुत गर्मी और नमी थी, और ऐसे मौसम में कोई भी फूड आइटम खाने योग्य नहीं हो सकता है”।