सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत दायर एक अर्जी पर मिले जवाब से पता चला है कि रेल मंत्रालय ने नवंबर 2014 से सितंबर 2017 तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विभिन्न रेल परियोजनाओं एवं सेवाओं के उद्घाटन पर 13.46 करोड़ रुपए खर्च किए। मुंबई में रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता मनोरंजन रॉय की अर्जी पर रेलटेल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने कहा कि नई ट्रेनों, अलग-अलग स्टेशनों पर लगाए गए एस्केलेटरों और बनाए गए फुट ओवर ब्रिजों, प्रतीक्षा गृहों, वीआईपी लाउंजों के वीडियो लिंक के जरिए उद्घाटन सहित 166 कार्यक्रमों पर 13.46 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
रेलवे की इकाई रेलटेल कॉरपोरेशन ने कहा कि सरकार ने नौ नवंबर 2014 और तीन सितंबर 2017 के बीच इन उद्घाटनों पर 13.46 करोड़ रुपए खर्च किए। इस अवधि में सुरेश प्रभु रेल मंत्री पद पर थे। रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि निगम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए तकनीकी रसद की व्यवस्था करने का काम सौंपा गया है। जोनल रेलवे यूजर्स सलाहकार समिति (जेडआरयूसीसी) के सदस्य कैलाश वर्मा ने कहा कि ऐसे खर्च अनावश्यक हैं और करदाताओं के पैसे की बर्बादी हैं।
हालांकि, पश्चिमी रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय यात्रियों को बेहतर सुविधाएं और आराम सुनिश्चित करने के लिए भारी रकम निवेश कर रहा है। रेलवे के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि पिछले चार सालों में रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए बड़े पैमाने पर पैसा खर्च किया है। इन सुविधाओं के देखते हुए ये खर्च इतने ज्यादा नहीं हैं।