मुंबई के जिस प्रबंधन कॉलेज में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को एक कार्यक्रम को संबोधित किया, वहां के छात्रों ने उनके इस संबोधन पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ छात्रों ने कहा कि राहुल के भाषण में ‘‘कुछ ज्यादा ही राजनीति’’ थी जिससे वे कांग्रेस नेता से खुद को पूरी तरह जोड़ नहीं सके। छात्र राहुल के भाषण से आंशिक तौर पर संतुष्ट दिखे। हालांकि, उन्होंने कहा कि राहुल को राजनीति को लेकर अपने विजन पर विस्तार से बोलना चाहिए था ।

एमबीए (वित्त) की पढ़ाई कर रहे एक छात्र ने बताया, ‘‘उनका भाषण अच्छा था। उन्होंने कुछ दमदार बातें भी कहीं। लेकिन इसमें राजनीति कुछ ज्यादा ही थी। चूंकि यह छात्रों के साथ एक संवाद था, तो उन्हें थोड़ा राजनीति से दूर रहना चाहिए था। इससे हम उनसे पूरी तरह जुड़ पाते।’’ जीएसटी पर की गई राहुल की टिप्पणी पर एक छात्र ने कहा, ‘‘राहुल गांधी का भाषण अच्छा था। लेकिन कुछ चीजें ज्यादा विस्तार से बताई जानी चाहिए थी। जैसे कि यदि जीएसटी विधेयक दो वजहों से अटका है तो सरकार और विपक्ष को इसे आगे बढ़ाने के लिए कोई व्यवस्था तलाशनी चाहिए।’’ छात्र ने कहा, ‘‘एक आम आदमी के तौर पर मेरी दिलचस्पी राजनीति में नहीं है। मैं (विधेयक पारित होने में देरी) से निराश हूं।’’ एक अन्य छात्र ने कहा कि भारत के नेताओं को ‘‘जैसे को तैसा’’ वाला रवैया छोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘कोई देश जैसे को तैसा वाले रवैये से नहीं चल सकता। विपक्ष और सरकार को तालमेल बिठा कर काम करना चाहिए ।’’ सवाल-जवाब सत्र में राहुल से सवाल करने वाली एक छात्रा ने कहा, ‘‘उनका भाषण अच्छा था। लेकिन उन्होंने मनरेगा और इसकी प्रक्रिया पर कुछ ज्यादा ही जोर दिया। उन्हें तो हमसे अपने विजन के बारे ज्यादा बात करनी चाहिए थी।’’