महात्मा गांधी की हत्या में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कथित भूमिका से जुड़े अपने बयान पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने खेद जताने से इनकार कर दिया है। इस टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ चल रहे मानहानि के मुकदमे को सम्मानजनक ढंग से रफादफा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ऐसा करने का मशविरा दिया था।
जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच के सामने राहुल की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि वे रिकॉर्ड्स और मेरिट के आधार पर इस मामले पर बहस करना चाहेंगे। कोर्ट ने सिब्बल से जानना चाहा था कि क्या उनके मुवक्किल दुख जताकर इस मामले को खत्म करना चाहते हैं। अगर ऐसा होता तो अदालत महाराष्ट्र के ट्रायल कोर्ट में उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे को खत्म कर देती। सिब्बल ने कहा कि उनके पास कोर्ट के कई फैसलों के आधार पर ऐसे सबूत हैं, जिनसे वे अपने मुवक्किल का बचाव कर सकते हैं। सिब्बल ने कहा कि वे इस विवाद का हल निकालने के लिए इन रिकॉर्ड्स पर भरोसा करना पसंद करेंगे।
बता दें कि राहुल के खिलाफ आरएसएस के एक वर्कर ने महाराष्ट्र के भिवंडी में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है। आरएसएस कार्यकर्ता राजेश कुंते ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल की ओर से भिवंडी में 6 मार्च 2014 को दिए गए बयान भाषण के संदर्भ में यह मामला दर्ज कराया है। राहुल ने कथित तौर पर महात्मा गांधी की हत्या के लिए आरएसएस पर आरोप लगाया था। कुंते का दावा है कि राहुल आरएसएस की छवि बिगाड़ना चाहते हैं।