कोरोना वैक्सीन को लेकर राहुल गांधी ने मोदी सरकार को एक बार फिर घेरा है। उन्होंने ट्वीट किया. ‘बिहार चुनाव में सबके लिए फ्री वैक्सीन की बात कही जा रही थी। अब सरकार कह रही है कि सबको वैक्सीन नहीं लगेगी। आखिर मीएम मोदी का स्टैंड क्या है?’ स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा था कि देश की पूरी आबादी को टीका लगाने की बात नहीं हुई है। उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी जो आसानी से कोरोना का शिकार हो सकते हैं।

आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कभी कहा था कि टीका अभियान का उद्देश्य कोविड चेन को तोड़ना होगा। अगर कुछ लोगों को टीका लगाकर चेन तोड़ी जा सकती है तो पूरी आबादी के टीकाकरण की जरूरत नहीं होगी। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने भी कहा था कि सरकार ने पूरे देश के टीकाकरण के बारे में नहीं कहा था। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया था कि टीका आने की समय सीमा पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।

लोगों के मन में सवाल हैं कि आखिर उन्हें वैक्सीन लगेगी या नहीं और अगर लगेगी तो मुफ्त में या  फिर पैसे देने होंगे? सरकार की रणनीति धीरे-धीरे स्पष्ट हो रही है। पहले 30 करोड़ की आबादी का टीकाकरण हो सकता है जिसमें कोरोना वॉरियर्स और 50 साल के ऊपर के लोग शामिल होंगे। इसके बाद वैक्सीन की उपलब्धता के आधार पर बाकी लोगों से कीमत भी ली जा सकती है। हालांकि सरकार ने अभी इस मामले में कोई बयान नहीं जारी किया है।

भारत अभी अपनी ज्यादा जरूरत को ध्यान में रखते हुए मुख्यतः पांच वैक्सीन पर ध्यान दे रहा है।इसमें ऐस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड, जायडस कैडिला, बायोलॉजिकल ई, डॉ. रेड्डी और भारत बायोटेक की वैक्सीन शामिल है। पॉल ने कहा कि इन पांचों से अच्छी मात्रा में वैक्सीन मिल सकती है औऱ महामारी पर नियंत्रण किया जा सकता है। अहमदाबाद में जायडस कैडिला जायकोव डी के नाम से वैक्सीन बना रही है। इसके दो चरणों का ट्रायल हो चुका है। भारत बायोटेक और आईसीएमआर मिलकर वैक्सीन बना रही है। 25 अस्पतालों में इसके तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है।