जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और कुंडा के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ ‘राजा भैया’ की पार्टी का प्रतापगढ़ में दबदबा अब भी कायम है। ‘राजा भैया’ सपा और बीजेपी सरकार में कई बार मंत्री रह चुके हैं। बीते साल इन्होंने खुद की पार्टी बना ली है।

डीएसपी जिया उल हक की हत्या से लेकर तलब में घडिय़ाल पालने तक रघुराज प्रताप सिंह कई बार विवादों में आए हैं। राजा भैया की ताकत ऐसी है कि प्रतापगढ़ में उनकी मर्जी से पत्ता तक नहीं हिलता है। राजा भैया से मायावती की कभी अदावत नहीं थी लेकिन जब कल्याण सिंह की सरकार से बीएसपी ने समर्थन वापस लिया था तो कल्याण सिंह की सरकार को बचाने के लिए राजा भैया आगे आये थे ओर उन्होंने बसपा के विधायक को तोड़ कर कल्याण सिंह की सरकार बचायी थी।

माना जाता है कि यहीं से मायावती की राजा भैया से नाराजगी हुई थी ओर मायावती ने राजा भैया से बदला लेते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई करायी थी। वर्ष 2002 में मायावती ने राजा भैया के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था। राजा भैया पर पोटा लगा दिया गया था और उनके पिता उदय प्रताप सिंह व भाई अक्षय प्रताप सिंह पर भी कानून का शिकंजा कसा था।

राजा भैया के पिता के आवास पर पुलिस ने छापेमारी की थी। वर्ष 2010 में भी मायावती की सरकार थी और पंचायत चुनाव में प्रतापगढ़ के एक प्रत्याशी की हत्या का प्रयास किया गया था जिसका आरोपी राजा भैया को बनाया गया था और उन्हें साल भर जेल में रहना पड़ा था। वर्ष 2012 में जब सपा की सरकार बनी तब जाकर राजा भैया पर से पोटा हटाया गया।

राजा भैया की बेंती कोठी के बगल में लगभग 600 एकड़ में बेंती तलाब है। इस तलाब के बारे में चर्चा थी कि यहां पर घडिय़ाल पाले गये हैं और राजा भैया अपने दुश्मनों को यहीं पर फेंकवा देते थे हालांकि इस चर्चा को राजा भैया ने लोगों का मानसिक दिवालियापन बताया था। राजा भैया से नाराज मायावती ने इस तलाब की खुदवाई करवायी थी और यहां पर नर कंकाल भी मिले थे जिसको लेकर आज तक चर्चा होती रहती है।