भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल के नवनिर्वाचित नेता रघुवर दास ने शुक्रवार को झारखंड में नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा-आजसू गठबंधन को बहुमत से जीत मिलने के तीन दिन बाद यह दावा पेश किया गया।

गठबंधन सहयोगियों के विधायकों के साथ दास ने राज्यपाल सैयद अहमद से भेंट कर प्रदेश में अगली सरकार बनाने का दावा पेश किया। आजसू पार्टी प्रमुख सुदेश महतो भी इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। हालांकि महतो को इस विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। राज्यपाल से मिलने के बाद दास ने कहा, ‘हमने राज्यपाल से भेंट की और सरकार बनाने का दावा पेश किया। हमने (शपथ ग्रहण के लिए) 28 दिसंबर की तिथि सुझाई और उन्होंने हामी भर दी।’

दास के साथ बैठक में हिस्सा लेने वालों में भाजपा के सरयू रॉय, सीपी सिंह और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र राय भी शामिल थे। झारखंड के गठन के 14 वर्षों में यह 10वीं सरकार होगी। राज्य में अभी तक तीन चुनाव हुए हैं। भाजपा ने झारखंड में आदिवासी मुख्यमंत्री होने की परंपरा को तोड़ते हुए रघुवर दास को चुना है जो बिहार से इस राज्य के अलग होने के 14 साल बाद पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री होंगे। नई सरकार रविवार को शपथ ग्रहण करेगी। भाजपा के पास 81 सदस्यीय विधानसभा में 37 सीटें हैं वहीं सहयोगी आजसू के पास पांच सीटें हैं और इस तरह 42 विधायकों के साथ भाजपा गठबंधन की सरकार बना सकती है।

भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के कुछ घंटे बाद पार्टी उपाध्यक्ष दास ने राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। यह राज्य 14 साल से राजनीतिक अस्थिरता से ग्रस्त रहा है। दास ने सहयोगी दल आजसू के अध्यक्ष सुदेश महतो और जीते हुए विधायकों के साथ राज्यपाल सैयद अहमद से मुलाकात की और नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के बड़े आदिवासी नेता अर्जुन मुंडा के चुनाव हार जाने के चलते भी दास के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हुआ है।

दास ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद कहा, ‘हमने राज्यपाल से मुलाकात की और दावा पेश किया। हमने उन्हें सुझाव दिया कि हम 28 दिसंबर को सुबह 11 बजे शपथ लेना चाहते हैं और राज्यपाल ने इस पर सहमति जताई।’ ट्रेड यूनियन की पृष्ठभूमि रखने वाले 60 वर्षीय दास ने कहा, ‘हम अच्छा और भ्रष्टाचार मुक्त शासन देंगे और विकास तेज होगा। हम 93 फीसद असंगठित क्षेत्र के लोगों, अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों के लोगों और गरीबों के लिए भी काम करेंगे।’

इससे पहले भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षकों जेपी नड्डा और विनय सहस्रबुद्धे ने भाजपा विधायक दल की बैठक में भाग लिया जिसमें मुंडा भी उपस्थित थे। नड्डा ने संवाददाताओं से कहा, ‘भाजपा के विधायक दल ने रघुवर दास को अपना नेता चुना है। सरयू रॉय और सीपी सिंह ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा और सभी ने इसका अनुमोदन किया।’

दास के साथ सरयू रॉय भी राजभवन गए थे जिनका नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में दास के साथ बना हुआ था। दास राज्य में रही शिबू सोरेन सरकार में उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन बाद में सोरेन की जगह मुंडा मुख्यमंत्री बने। वह बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा के बाद भाजपा के तीसरे मुख्यमंत्री होंगे।

मरांडी ने बाद में भाजपा छोड़कर अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) बना ली थी। उन्हें इस बार के चुनाव में धनवार और गिरिडीह से हार का सामना करना पड़ा लेकिन उनकी पार्टी को आठ सीटें मिली हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ आदिवासी नेता से जब पूछा गया कि वह आदिवासी समुदाय के मुख्यमंत्री होने की परंपरा को तोड़ने के भाजपा के फैसले को कैसे देखते हैं तो उन्होंने कहा, ‘मुझे इस पर नहीं बोलना चाहिए।’

झारखंड में पिछले 14 सालों में नौ सरकारें रहीं हैं जिनमें पांच आदिवासी मुख्यमंत्रियों ने समय समय पर राज्य की कमान संभाली है। इनमें एक बार बाबू लाल मरांडी, तीन बार अर्जुन मुंडा, तीन बार शिबू सोरेन, एक बार मधु कोडा और एक बार हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री रहे हैं।

विज्ञान और विधि विषयों में स्नातक दास 1995 से जमशेदपुर (पूर्व) विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। उन्होंने 1974 के छात्र आंदोलन में भाग लिया था और टेल्को में मजदूरों के आंदोलन में भी बड़ी भूमिका निभाई थी।

वह कैबिनेट मंत्री के तौर पर वित्त, श्रम और शहरी विकास जैसे विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। टाटा स्टील के पूर्व कर्मचारी रहे दास दो बार पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रह चुके हैं। उनके प्रशासनिक कौशल से प्रभावित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया। पहली बार राज्य में चुनाव पूर्व गठबंधन में रहे सहयोगी दल बहुमत में सरकार बना सकते हैं। इससे पहले तक राज्य में अस्थिर सरकारों का ही दौर रहा है।

 

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पूर्व उपमुख्यमंत्री रघुवर दास होंगे पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री। (फोटो: भाषा)

 

 

मरांडी ने बाद में भाजपा छोड़कर अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) बना ली थी। उन्हें इस बार के चुनाव में धनवार और गिरिडीह से हार का सामना करना पड़ा लेकिन उनकी पार्टी को आठ सीटें मिली हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ आदिवासी नेता से जब पूछा गया कि वह आदिवासी समुदाय के मुख्यमंत्री होने की परंपरा को तोड़ने के भाजपा के फैसले को कैसे देखते हैं तो उन्होंने कहा, ‘मुझे इस पर नहीं बोलना चाहिए।’

झारखंड में पिछले 14 सालों में नौ सरकारें रहीं हैं जिनमें पांच आदिवासी मुख्यमंत्रियों ने समय समय पर राज्य की कमान संभाली है। इनमें एक बार बाबू लाल मरांडी, तीन बार अर्जुन मुंडा, तीन बार शिबू सोरेन, एक बार मधु कोडा और एक बार हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री रहे हैं।

विज्ञान और विधि विषयों में स्नातक दास 1995 से जमशेदपुर (पूर्व) विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। उन्होंने 1974 के छात्र आंदोलन में भाग लिया था और टेल्को में मजदूरों के आंदोलन में भी बड़ी भूमिका निभाई थी।

वह कैबिनेट मंत्री के तौर पर वित्त, श्रम और शहरी विकास जैसे विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। टाटा स्टील के पूर्व कर्मचारी रहे दास दो बार पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रह चुके हैं। उनके प्रशासनिक कौशल से प्रभावित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया। पहली बार राज्य में चुनाव पूर्व गठबंधन में रहे सहयोगी दल बहुमत में सरकार बना सकते हैं। इससे पहले तक राज्य में अस्थिर सरकारों का ही दौर रहा है।

भ्रष्टाचार मुक्त विकास पर जोर:
ट्रेड यूनियन की पृष्ठभूमि रखने वाले 60 वर्षीय दास ने कहा,‘हम अच्छा व भ्रष्टाचार मुक्त शासन देंगे और विकास तेज करेंगे। सरकार 93 फीसद असंगठित क्षेत्र के लोगों, अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों के लोगों व गरीबों के लिए काम करेगी।’

जेपीपी का राज्यव्यापी बंद:
झारखंड में गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री के चुनाव को भाजपा का आदिवासी विरोधी रुख बताते हुए झारखंड पीपुल्स पार्टी (जेपीपी) के अध्यक्ष सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि पार्टी रघुवर दास के शपथ ग्रहण समारोह के दिन राज्यव्यापी बंद रखेगी।