राफेल विमान सौदे में विपक्ष केंद्र सरकार पर हमला बोलने से कोई मौका नहीं चूक रहा है। शुक्रवार को रक्षा सौदे में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के दखल की बात उजागर होने के बाद कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने एक और डॉक्यूमेंट ट्वीट किया। तिवारी ने जो दस्तावेज ट्वीट किया है उसमें रक्षा मंत्रालय ने लिखा है कि फ्रांस के राष्ट्रपति के कूटनीतिक सलाहकार और प्रधानमंत्री कार्यालय के जॉइंट सेक्रेटरी जावेद अशरफ के बीच समानांतर बातचीत हो रही थी और यह बातचीत विमान सौदे में भारत के नजरिए से हानिकार थी। इससे पहले शुक्रवार को ‘द हिंदू’ में वरिष्ठ पत्रकार एन राम ने एक आर्टिकल लिखा था जिसमें रक्षा सचिव के नोट का जिक्र करते हुए पीएमओ द्वारा रक्षा मंत्रालय के अलावा सौदे में समानांतर बातचीत की बात कही थी। इस लेख के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फौरन प्रेस वार्ता की और मोदी सरकार को फिर कटघरे में खड़ा किया।

मनीष तिवारी ने दस्तावेज ट्वीट करते हुए लिखा, “पैराग्राफ 4 के 7 लाइनों को पढ़ें। रक्षा मंत्रालय कहता है फ्रांस के राष्ट्रपति के कूटनीतिक सलाहकार और पीएमओ के जॉइंट सेक्रेटरी के बीच समानांतर बातचीत हमारे सौदे के लिए हानिकारक है।” मनीष ने अपने ट्वीट में सवाल उठाए हैं कि अगर पीएमओ द्वारा समानांतर बातचीत हानिकारक थी तो वह किसके हित के लिए यह काम कर रहा था।

जो नोट मनीष तिवारी ने अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया है, उसके चौथे पैराग्राफ में लिखा है कि जब रक्षा मंत्रालय द्वारा बातचीत के लिए गठित टीम सौदे का मोलभाव कर रही है तब ऐसे में पीएमो द्वारा पैरलल बातचीत भारत के नजरिए से हानिकार है। इसका लाभ सीधे-सीधे फ्रांस को मिलेगा और मोलभाव करने वाली भारतीय टीम की स्थिति कमजोर होगी। इस नोट में पीएमओ द्वारा बातचीत पर रक्षा मंत्रालय ने सख़्त आपत्ति जाहिर की है।

गौरतलब है कि ‘द हिंदू’ में वरिष्ठ पत्रकार एन राम ने जिस नोट की चर्चा की थी, उसमें आगे लिखा गया था, “हम पीएमओ को सुझाव दे सकते हैं कि जो भी अधिकारी भारतीय वार्ता समूह का हिस्सा नहीं है वह सौदे के संबंध में फ्रांस के अधिकारियों से बातचीत ना करे। यदि किसी कारण से पीएमओ को इस इस सौदे (राफेल) में रंक्षा मंत्रालय द्वारा की जा रही बातचीत में विश्वसनीयता का अभाव दिखता है तब वह नई रूप-रेखा के साथ बातचीत को अपने स्तर पर आगे बढ़ाए।” गौरतलब है कि राफेल विमान सौदे में बातचीत के लिए रक्षा मंत्रालय की तरफ से 7 सदस्यीय टीम का गठन किया गया था। लेकिन, इनके अलावा पीएमओ की तरफ से भी सौदे में बातचीत से विवाद खड़ा हो गया है।