Rafale in India HIGHLIGHTS: अपनी हवाई सीमाओं की सुरक्षा को चाक-चौबंद करने की दिशा में बुधवार को भारत उस समय एक कदम और आगे बढ़ गया जब रूस से सुखोई विमानों की खरीद के करीब 23 साल बाद, नये और अत्याधुनिक पांच राफेल लड़ाकू विमानों का बेड़ा फ्रांस से आज यहां, देश के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अंबाला एयर बेस पर पहुंच गया। इन विमानों के, वायुसेना में शामिल होने के बाद देश को आस-पड़ोस के प्रतिद्वंद्वियों की हवाई युद्धक क्षमता पर बढ़त हासिल हो जाएगी।
निर्विवाद ट्रैक रिकॉर्ड वाले इन राफेल विमानों को दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है। फ्रांस के बोरदु शहर में स्थित मेरिगनेक एयरबेस से 7,000 किलोमीटर की दूरी तय करके ये विमान आज दोपहर हरियाणा में स्थित अंबाला एयरबेस पर उतरे। राफेल विमानों के भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद दो सुखोई 30 एमकेआई विमानों ने उनकी आगवानी की और उनके साथ उड़ते हुए अंबाला तक आए।
सरकार ने 23 सितंबर, 2016 को फ्रांस की एरोस्पेस कंपनी दसाल्ट एविएशन के साथ 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। इससे पहले तत्कालीन संप्रग सरकार करीब सात साल तक भारतीय वायुसेना के लिए 126 मध्य बहुद्देशीय लड़ाकू विमानों की खरीद की कोशिश करती रही थी, लेकिन वह सौदा सफल नहीं हो पाया था। दसाल्ट एविएशन के साथ आपात स्थिति में राफेल विमानों की खरीद का यह सौदा भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता को और मजबूत बनाने के लिए किया, क्योंकि वायुसेना के पास लड़ाकू स्क्वाड्रन की स्वीकृत संख्या कम से कम 42 के मुकाबले फिलहाल 31 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं। अंबाला पहुंचे पांच राफेल विमानों में से तीन राफेल एक सीट वाले जबकि दो राफेल दो सीट वाले लड़ाकू विमान हैं। इन्हें भारतीय वायुसेना के अंबाला स्थित स्क्वाड्रन 17 में शामिल किया जाएगा जो ‘गोल्डन एरोज’ के नाम से जाना जाता है।
Coronavirus in India LIVE News and Updates
बता दें कि राफेल जेट्स ने सोमवार को फ्रांस के मेरिग्नैत एयरबेस से उड़ान भरी थी। यह विमान करीब 7 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर भारत आने वाले हैं। बीच में इन जेट्स को संयुक्त अरब अमीरात में उतारा गया था। वहीं, कल राफेल की एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग भी की गई थी।
भारत को पिछले करीब दो दशक में नये बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों की पहली खेप बुधवार को पांच राफेल लड़ाकू विमानों के रूप में मिली। राफेल के वायुसेना के बेड़े में शामिल होने से देश की वायु शक्ति को चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में जारी सीमा विवाद और पाकिस्तान के साथ असहज संबंधों के बीच सामरिक मजबूती हासिल हुई है। निर्विवाद क्षमता रिकॉर्ड वाले राफेल लड़ाकू विमानों को दुनिया के सर्वाधिक शक्तिशाली लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है। फ्रांस से रवाना होकर पांच विमानों का यह बेड़ा बुधवार अपराह्न करीब तीन बजकर दस मिनट पर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अंबाला वायुसेना स्टेशन पर उतरा।
अधिकतम रफ्तार 2,223 किलोमीटर प्रति घंटे की, लेकिन 8,140 किलोमीटर की दूरी तय करने में 10 घंटे से ज्यादा का वक्त लग गया। भारत के नवीनतम लड़ाकू विमान रफाल को सोमवार को फ्रांस से रवाना किया गया। बुधवार को भारत तक उड़ाकर लाने में कुल 10 घंटे का समय लगा...पढ़ें पूरी खबर
भारतीय वायु सेना के पूर्व प्रमुख बीएस धनोआ ने बुधवार को राफेल लड़ाकू विमानों के भारत की धरती पर उतरने का स्वागत किया। साथ ही कहा कि उन्होंने राजनीतिक विवाद के बावजूद इसके खरीद के सौदे का बचाव इसलिए किया था कि वह नहीं चाहते थे कि इसका हाल भी बोफोर्स जैसा हो जाए। 1980 के दशक में बोफोर्स तोप खरीदने के लिए कथित रूप से रिश्वत दी गई थी और इसके बाद राजनीतिक असर के चलते रक्षा खरीद पर काफी प्रभाव पड़ा और नौकरशाह सैन्य खरीद पर निर्णय लेते हुए आशंकित रहते थे। एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) धनोआ ने पीटीआई-भाषा से कहा, "मैंने सौदे का बचाव इसलिए किया था कि मैं नहीं चाहता था कि यह बोफोर्स के रास्ते पर जाए। हम रक्षा खरीद प्रक्रिया के राजनीतिकरण के खिलाफ थे। यह वायुसेना की क्षमता सवाल था।"
राफेल देश की सुरक्षा व्यवस्था, शांति के लिए है ताकि कोई हमें कमजोर न समझे। किसी देश से शत्रुता का बदला लेने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाएगा इस रूप में इसे बिलकुल नहीं लिया जाना चाहिए बल्कि हम इससे अपनी सेनाओं को सुसज्जित कर रहे हैं: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत
दुनिया में अपनी लड़ाकू क्षमता का लोहा मनवाने वाला 'राफेल' आज भारत पहुंच गया है। इस हवाई जहाज को बनाने में महिलाओं और दिव्यांगों का खास योगदान रहा है। फ्रांस की कंपनी 'डसॉल्ट एविएशन' ने इन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का भरपूर मौका दिया है।
वायुसेना ने अंबाला और हासीमारा एयरबेस पर शेल्टर, हैंगर और मरम्मत/देखभाल संबंधी अवसंरचना विकसित करने में करीब 400 करोड़ रुपये निवेश/खर्च किए हैं। भारत ने जो 36 राफेल विमान खरीदे हैं उनमें से 30 लड़ाकू विमान और छह प्रशिक्षु विमान हैं। प्रशिक्षु विमानों में दो सीटें हैं और उनमें लड़ाकू विमानों के लगभग सभी फीचर मौजूद हैं।
राफेल विमानों का पहला स्क्वाड्रन हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर रहेगा वहीं दूसरा स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हासीमारा एयरबेस पर रहेगा। अंबाला एयरबेस को देश में भारतीय वायुसेना का, सामरिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण बेस माना जाता है क्योंकि यहां से भारत-पाकिस्तान की सीमा करीब 220 किलोमीटर की दूरी पर है।
फ्रांस से सोमवार को उड़ान भरने के बाद इन पांचों विमानों का बेड़ा अंबाला तक के 7,000 किलोमीटर लंबे सफर के बीच, सिर्फ एक बार, संयुक्त अरब अमीरात के अल दाफ्रा एयरबेस पर उतरा। फ्रांस स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार, इन विमानों में 30,000 फुट की ऊंचाई पर उड़ान भरने के दौरान ही फ्रांसीसी टैंकर ने ईंधन भरा। भारत को पहला राफेल जेट अक्टूबर, 2019 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के फ्रांस दौरे पर सौंपा गया था।
इन पांच राफेल विमानों को आज अंबाला पहुंचने के बाद से ही 17वें स्क्वाड्रन में शामिल किया जा रहा है, लेकिन इन्हें अगस्त के मध्य में एक औपचारिक समारोह आयोजित कर भारतीय वायुसेना के बेड़े का हिस्सा घोषित किया जाएगा। उस समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित देश की सेना के शीर्ष अधिकारियों के उपस्थित रहने की संभावना है।
भारतीय वायुसेना राफेल लड़ाकू विमानों का साथ देने के लिए मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली, हवा से जमीन पर वार करने में सक्षम अत्याधुनिक हथियार प्रणाली ‘हैमर’ भी खरीद रही है। हैमर (हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्स्टेंडेड रेंज) लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली क्रूज मिसाइल है, जिसका निशाना अचूक है और इसे फ्रांस की रक्षा कंपनी सैफरॉन ने विकसित किया है।
शाह ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि मोदी सरकार भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और विश्वस्तरीय लड़ाकू विमान इस दिशा में बड़ा बदलाव लाने वाले साबित होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘राफेल का उतरना हमारी शक्तिशाली वायुसेना के लिए ऐतिहासिक दिन और भारत के लिए गौरवपूर्ण क्षण है। ये आसमान में किसी भी चुनौती को नाकाम करने में सक्षम सबसे शक्तिशाली मशीनें हैं। मुझे विश्वास है कि राफेल अपनी शक्ति के साथ हमारे आसमान की सुरक्षा करने में हमारे वायुवीरों की मदद करेंगे।’’
भारतीय धरती पर पांच राफेल लड़ाकू विमानों के उतरने को भारतीय वायुसेना के लिए ऐतिहासिक दिन और देश के लिए गौरवपूर्ण क्षण बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि ये आसमान में किसी भी चुनौती को नाकाम करने में सक्षम दुनिया की सबसे शक्तिशाली मशीनें हैं।
करीब 23 साल पहले रूस से सुखोई विमानों की खरीद के बाद भारत ने पहली बार लड़ाकू विमानों की इतनी बड़ी खेप खरीदी है। इन विमानों को अलग-अलग किस्म के और अलग-अलग मारक क्षमता वाले हथियारों से लैस किया जा सकता है। राफेल लड़ाकू विमानों को जिन मुख्य हथियारों से लैस किया जाएगा वे होंगे, यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीए की, दृष्टि सीमा से परे निशानों पर भी हवा से हवा में वार करने में सक्षम मेटयोर मिसाइल, स्कैल्प क्रूज मिसाइल और एमआईसीए हथियार प्रणाली।
सरकार ने सोमवार को एक बयान में कहा था कि भारत को 10 राफेल विमानों की आपूर्ति हुई है, जिनमें से पांच प्रशिक्षण मिशन के लिए फ्रांस में ही रूक रहे हैं। सरकार ने कहा कि खरीदे गए सभी 36 राफेल विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक भारत को हो जाएगी। राफेल विमानों को आसमान में उनकी बेहतरीन क्षमता और लक्ष्य पर सटीक निशाना साधने के लिए जाना जाता है।
भारतीय वायु सेना ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इनकी तस्वीरों को भी शेयर किया। वायु सेना ने अपने ट्वीट में लिखा, गोल्डेन एरो का स्वागत है। राफेल विमानों का सुखोई ने स्वागत किया। बता दें कि राफेल विमानों के बेड़े को वायु सेना ने 'गोल्डेन एरो' नाम दिया है।
प्रधानमंत्री ने अंबाला में राफेल की लैंडिंग का वीडियो शेयर करते हुए संस्कृत में ट्वीट किया कि राष्ट्र रक्षा के समान कोई पुण्य, व्रत या यज्ञ नहीं होता। उन्होंने इंडियन एयर फोर्स के आदर्श वाक्य 'नभः सदृशं दीप्तम्' के साथ स्वागतम् भी लिखा।
भारतीय सीमा में Rafale की एंट्री का एक वीडियो सामने आया है, जो आपका आपका दिल चुरा लेगी।
राफेल को चीन और पाकिस्तान दोनों पर बड़ी बढ़त बताया जा रहा है। भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल इस टक्कर का कोई विमान नहीं है। मल्टी रोल फाइटर जेट राफेल एकसाथ कई लक्ष्यों पर निशाना लागने में माहिर है।
राजनाथ ने राफेल की खूबियों के बारे में ट्वीट करते हुए लिखा, 'इस लड़ाकू विमान की फ्लाइंग परफॉर्मेंस बहुत ही अच्छी है और इसके हथियार, रेडार और दूसरे सेंसर, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताएं इसे दुनिया में सर्वश्रेष्ठ की कतार में खड़ी करती हैं। भारत में इसका आगमन हमारे देश पर किसी भी आने वाले खतरे को नाकाम करने के लिए इंडियन एयर फोर्स को और ज्यादा ताकतवर बनाएगा।'
राफेल विमान में ईंधन क्षमता 17 हजार किलोग्राम है। यह दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है, जो भारतीय वायुसेना की पहली पसंद है। इसे हर तरह के मिशन में भेजा जा सकता। तकनीक में उन्नत यह विमान हवाई निगरानी, ग्राउंड सपोर्ट, इन डेप्थ स्ट्राइक, एंटी-शर्प स्ट्राइक और परमाणु अभियानों को अंजाम देने में दक्ष है। इसमें मल्टी मोड रडार लगे हैं।
रक्षा मंत्री ने ट्वीट किया, 'राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद सिर्फ इसलिए हो पाई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के साथ अंतरसरकारी समझौते के तहत इन विमानों को खरीदने का सही फैसला किया। इनकी खरीद का मामला काफी लंबे वक्त से लंबित था और इसमें प्रगति नहीं हो पाई थी। मैं उन्हें इस साहस और निर्णय क्षमता के लिए धन्यवाद देता हूं।'
राफेल विमानों के अंबाला एयरबेस पर लैंड करने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वायुसेना को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'बर्ड्स अंबाला में सुरक्षित उतर गए हैं। भारत में राफेल लड़ाकू विमानों का पहुंचना हमारे सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है। ये मल्टीरोल वाले विमान वायुसेना की क्षमताओं में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे।'
अंबाला एयरबेस पर राफेल विमानों ने लैंडिंग कर ली है। विमान ने सोमवार को फ्रांस के एयरबेस से उड़ान भरी थी। इस विमान की अधिकतम स्पीड 2,130 किमी/घंटा और 3700 किलोमीटर तक मारक क्षमता। इस मौके पर देशभर में खुशी की लहर है।
हिलाल अहमद राथर राफेल उड़ाने वाले भारत के पहले पायलट बन गए हैं। कश्मीर के हिलाल अहमद ही वह शख्स हैं, जिन्होंने राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप को विदाई दी, जो फ्रांस से भारत के लिए सोमवार को उड़ान भरी। इतना ही नहीं, वह भारतीय जरूरतों के अनुसार, राफेल विमान के शस्त्रीकरण से भी जुड़े रहे हैं।
राफेल लड़ाकू विमान मेटेओर, स्कैल्प और मिका जैसे विजुअल रेंज मिसाइलों से सुसज्जित होगा, जोकि दूर से ही अपने लक्ष्य को भेद सकती है। कई रक्षा विशेषज्ञ भारतीय राफेल को चीन के J-20 का टक्कर का मान रहे हैं। स्टील्थ कैटिगरी का चीनी लड़ाकू विमान के बारे में अभी दुनिया को उतनी जानकारी नहीं है जितनी राफेल के बारे में है। ये दोनों ट्विन इंजन, सिंगल सीटवाले जेट विमान हैं।
राफेल लड़ाकू विमानों की मारक क्षमता 3700 किलीमीटर तक है। यह 6 सुपरसोनिक मिसाइल और लेजर गाइडेड बम लेकर उड़ सकता है। राफेल लगातार 10 घंटे तक हवा में उड़ान भर सकता है और दूर से ही दुश्मन के ठिकाने भेद सकता है।
भारतीय वायु सीमा में पांच लड़ाकू राफेल विमान दाखिल हो चुके हैं। इस मौके पर सुखोई-30MKI ने हवा में उसकी अगुवानी की। थोड़ी ही देर में इन विमानों की अंबाला एयरबेस पर लैंडिंग होगी।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने अनुमान जताया है कि आज अंबाला में बारिश हो सकती है। इसके अलावा आसमान में बादल छाए रहेंगे। इस सूरत में अगर राफेल की अंबाला में लैंडिंग में दिक्कत होती है तो राजस्थान के जोधपुर एयरबेस पर उसकी लैंडिंग हो सकती है। जोधपुर एयरबेस को स्टैंडबाई पॉजिशन में रखा गया है। अंबाला में फिलहाल तेज हवा चल रही है, लेकिन आसमान में बादल छाए हुए हैं। वहां दोपहर 1 बजे का तापमान 31 डिग्री सैल्सियस रिकॉर्ड किया गया।
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि हिन्दुस्तान का आसमान आज राफेल की गर्जना से और देश का माथा आज गौरव से गौरवान्वित होगा। अगर मातम होगा तो केवल तीन जगह होगा, चीन, पाकिस्तान और जो सुबह से ट्वीट कर रहे हैं उनके यहां।
भारत ने चार साल पहले फ्रेंच एयरोस्पेस कंपनी डसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 23 सितंबर, 2016 को 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। तब रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने राफेल जेट की खरीद के लिए बातचीत का नेतृत्व किया था। दो दशकों में भारत का यह पहला प्रमुख लड़ाकू जेट अधिग्रहण डील है।
अंबाला प्रशासन ने शहर की सड़कों को सील कर दिया है। शाम 5 बजे तक लोगों को प्राइवेट ड्रोन उड़ाने से प्रशासन ने रोक दिया है। लोगों को छतों पर जाने से भी रोका गया है। साफ तौर पर कहा गया है कि लोग छतों पर ना जाएं और राफेल विमानों की फोटोग्राफी न करें। ऐसा करने पर दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
अंबाला एयरबंस पर दोपहर दो बजे के करीब पांच लड़ाकू राफेल जेट विमानों की लैंडिंग होने वाली है। ये सभी विमान सोमवार को ही फ्रांस से उड़ान भरने के बाद मंगलवार को यूएई में रुके थे। वहां से भारत के लिए आज सुबह विमानों ने उड़ान भरी है। अंबाला एयरबेस पर पहुंचने के बाद एयर चीफ मार्शनल आरकेएस भदौरिया उन्हें रिसीव करेंगे। इस बीच अंबाला प्रशासन ने शहर के चार थाना क्षेत्रों में धारा 144 लगा दिया है। वहां राफेल की लैंडिंग की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी पर भी पाबंदी लगा दी गई है।