LGBTQ समाज को लेकर देश में जागरूकता बढ़ रही है, उनके अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने कई आदेश दे दिए हैं, लेकिन फिर भी कई ऐसे पहलू रह गए हैं जहां पर सुधार की गुंजाइश साफ दिखाई पड़ जाती है। ऐसा ही एक क्षेत्र है जेल जहां पर देखा गया है कि LGBTQ समाज वाले कैदियों को दूसरे कैदियों वाले अधिकार नहीं मिलते हैं। इसी बात का संज्ञान गृह मंत्रालय ने भी लिया है।

क्या कहा सरकार ने?

गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों एक नोट भेजा है जिसमें जोर देकर कहा गया है कि LGBTQ समाज के कैदियों को भी अपने परिवार वालों से मिलने का पूरा अधिकार है। उन्हें किसी भी तरह से भेदभाव का शिकार नहीं बनना चाहिए, उनका अपमान नहीं होना चाहिए। यहां तक कहा गया है कि उन्हें भी हर तरह की लीगल एडवाइज लेने का हक है, ऐसे में जेल में उसकी आजादी भी रहनी चाहिए।

क्यों जरूरी है?

इसके ऊपर नोट में इस बात का भी जिक्र किया है कि LGBTQ समाज के लोगों को भी दो हफ्ते में एक बार अपने परिवार के सदस्यों से मिलने की छूट मिलनी चाहिए। इस बात पर भी जोर दिया गया है कि अगर LGBTQ समाज का ही कोई शख्स कैदी से मिलने आ रहा है, उस स्थिति में मिलने वाले का सम्मान भी बनाए रखना जरूरी है। अब इससे पहले भी इसी तरह के कई आदेश इस समाज के लिए आ चुके हैं।

कोर्ट का क्या कहना?

वैसे सुप्रीम कोर्ट भी यह साफ कर चुका है कि समलैंगिक समुदाय के साथ उनकी लैंगिक पहचान या लैंगिक आधार पर भेदभाव न किया जाए। हॉटलाइन नंबर तक जारी करने के लिए कहा गया है जिससे अगर इस समुदाय को किसी भी तरह की हिंसा का सामना करना पड़ा तो तुरंत कार्रवाई हो जाए।