देशी विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने पुष्कर मेले की रंगारंग शुरुआत हो गई है। इस साल मेले की अवधि बढ़ा कर 15 दिन करने से पर्यटकों को खासी सुविधा महसूस हो रही है। पुष्कर मेले का खास आकर्षण उसका पशु मेला होता है जिसे दुनिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। मेले में देशी और विदेशी पर्यटकों के बीच कई खेल प्रतियोगिताएं भी होती हैं।
मेले का शुभारंभ स्थानीय विधायक सुरेश रावत ने किया। इसका आयोजन अजमेर जिला प्रशासन और पर्यटन महकमा करता है। इस मौके पर राजस्थानी वेशभूषा में बालिकाओं ने लोक नृत्य कर अनूठी छटा बिखेर कर पर्यटकों का मनोरंजन किया। विधायक रावत ने ध्वज फहरा कर और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मेला शुरू होने का एलान किया। इस दौरान सजे धजे ऊंट और घोडों की भी दौड़ हुई। लोक कलाकारों ने अपनी कलाओं का प्रदर्शन कर श्रद्वालुओं का दिल जीत लिया। धार्मिक नगरी होने के नाते पुष्कर में सैंकड़ों श्रद्वालुओं का जमावड़ा रहता है। लोक कलाकारों के करतब देख कर तो विदेशी पर्यटक खासे रोमांचित हो गए। जिला कलेक्टर आरूषी अजय मलिक ने बताया कि इस बार पशु मेला 12 नवंबर से ही शुरू किया गया जो 27 नवंबर तक चलेगा। क ार्तिक पूर्णिमा पर मेले में सबसे ज्यादा भीड़ रहती है और मेला पूरी रंगत में छा जाता है।
मेला अवधि में इस बार पहली बार भक्ति संगीत का भी आयोजन होगा। इसका आयोजन पुष्कर सरोवर की सीढ़ियों पर होगा। जिला कलेक्टर का कहना है कि इस बार लंबी अवधि का मेला होने से यह ऐतिहासिक होगा। इसमें सबसे ज्यादा मनोरंजन के कार्यक्रम किए जाएंगे। इसके साथ पशु दौड़ भी होगी। राजस्थान में पुष्कर मेले ने पर्यटकों के बीच खासी पहचान बना ली है। इस मेले में इस बार कई निजी संस्थाएं भी कई तरह के आयोजन कर रही हैं। इनमें ब्यावर की श्रीसीमेंट की तरफ से 22 से 24 नवंबर तक म्यूजिकल नाइट के कार्यक्रम होंगे। श्रीसीमेंट प्रदेश में सामाजिक सरोकारों के आयोजनों को बडेÞ पैमाने पर करता है। इस बार उसने पुष्कर मेले में सक्रिय भागीदारी निभाने का फैसला किया है।
पुष्कर मेले में सबसे बड़ा आयोजन पशु मेले का होता है। इसमें देश भर से सबसे बेहतर किस्म की नस्ल के पशु बिकने के लिए आते हैं। रंग बिरंगे परिधानों में सजे धजे पशु ही विदेशी पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र होते हैं। इसमें होने वाला एनिमल फाइट के कार्यक्रम का पर्यटकों को बेसब्री से इंतजार होता है। पशुओं से जुडेÞ कई तरह के कार्यक्रम यहां होते हैं। इसमें बड़ी संख्या में पशुपालक हिस्सा लेते हैं। प्रशासन अच्छी नस्ल के पशुओं को पुरस्कृत भी करता है।