पंजाब के फतेहगढ़ साहिब में पट्टन गांव के लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। गांव वासी एक बहुत सरल सी मांग कर रहे हैं कि यहां जमीन से पानी निकालने के लिए एक नया बोरवेल खोद दिया जाए। क्योंकि यहां जल आपूर्ति प्रभाग की ओर से लगाया गया पम्पसेट पिछले साल अगस्त से पानी खींचना बंद कर चुका है।
गांव के लोगों का दावा है कि यहां सूखा पड़ चुका है और बुनियादी जरूरतों के लिए भी पानी हासिल नहीं हो पा रहा है। यह दावा काफी चौंकाने वाला है लेकिन सप्लाई देख रहे केएनके प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को इसमें बहुत ज़्यादा दिलचस्पी नहीं है।
केएनके की ओर से क्या कहा गया है?
KNK नहर के पानी को औटोमेटेड सिस्टम के तहत सप्लाई करता है। पानी सुबह तीन घंटे और शाम को तीन घंटे छोड़ा जाता है। प्राइवेट फर्म से जुड़े सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन (SCADA) इंजीनियर नवीन कुमार दुबे इस बारे में बात करते हुए कहते हैं— ‘गांव वालों को पंप सेट के ज़रिए चौबीसों घंटे पानी मिलता था, वे सिर्फ़ अपने मवेशियों को नहलाते थे और पानी बरबाद कर देते थे। जिसके बाद पानी की आपूर्ति के औटोमेटेड सिस्टम ने पानी को बर्बाद होने से रोका है, गांव के लोग इस ही बात से परेशान होंगे।’–
ऐसा नहीं है कि गांव के लोग पहली बार इस मुद्दे को उठा रहे हैं या उनके लिए ये समस्या नई है। कुछ दिन पहले जब जल संसाधन विभाग ने इलाके में नहर नेटवर्क की सफाई की तो पानी की सप्लाई प्रभावित हुई थी। जिसके रहते गांव के लोग खासे परेशान दिखाई दिए थे।
पानी में फ्लोराइड की बहुत ज्यादा मात्रा
बुधवार को पट्टन गांव का दौरा करने पर इंडियन एक्सप्रेस को यह भी पता चला कि गांव के भूजल में फ्लोराइड की मात्रा बहुत ज्यादा है। जिससे पानी पीने लायक भी नहीं बचता है। खेड़ा ब्लॉक में नहर के पानी की आपूर्ति का काम संभालने वाले जूनियर इंजीनियर संजय गिरी ने बताया कि फतेहगढ़ साहिब के कई गांव प्रभावित हैं। अकेले खेड़ा ब्लॉक के 69 गांव नहर का पानी पी रहे हैं। भूमिगत जल में फ्लोराइड की मात्रा बहुत ज़्यादा है और पानी पीने लायक भी नहीं है।
पंजाब के कई इलाकों का यही हाल
पंजाब के कई इलाकों में ऐसी ही स्थिति है। केंद्रीय भूजल बोर्ड की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक 1.50 मिलीग्राम/लीटर से अधिक फ्लोराइड वाले भूजल मुख्य रूप से बठिंडा, फरीदकोट, फाजिल्का, मुक्तसर और मानसा जिलों में पाए जाते हैं और फिरोजपुर, संगरूर, एसएएस नगर और तरन तारन जिलों में भी कुछ जगहों पर पाए जाते हैं।
डेरा बस्सी से आप विधायक कुलजीत सिंह रंधावा अपने विधानसभा क्षेत्र में भूजल स्तर के 1,200-1,300 फीट नीचे चले जाने और फ्लोराइड की मौजूदगी का मुद्दा बार-बार उठाते रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैंने विधानसभा में यह मुद्दा उठाया। उद्योगों की मौजूदगी के कारण मेरे निर्वाचन क्षेत्र में पीने का पानी नहीं है। भूमिगत जल स्तर नीचे चला गया है और उथले भूजल में रसायनों की मात्रा अधिक है, जो इसे पीने योग्य नहीं बनाती है। मैंने सरकार से मेरे क्षेत्र में भी नहर का पानी उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।”
नहर का पानी नहीं चाहते पट्टन गांव के लोग?
पट्टन गांव में ग्रामीण नहर का पानी नहीं चाहते हैं। इंजीनियर नवीन कुमार दुबे कहते हैं कि –‘मैंने ग्रामीणों के सामने नहर का कई गिलास पानी पिया, लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी। उन्हें नहर का पानी नहीं चाहिए।’
पट्टन गांव की सरपंच मंजीत कौर कहती हैं कि जिला प्रशासन को नया बोरवेल उपलब्ध कराने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। नया बोरवेल खोदने के लिए केवल 16 लाख रुपये की जरूरत है। लेकिन पानी के बिना हमें होने वाली असुविधा के बावजूद वे ऐसा नहीं कर रहे हैं। गांव के निवासी कमलजीत सिंह ने कहा, “कोई विकल्प न होने के कारण हमने बुधवार को डीसी ऑफिस के बाहर धरना शुरू कर दिया। वे ट्यूबवेल क्यों नहीं लगाते? कुछ दिन पहले हमें टैंकरों से पानी लाना पड़ा था।”