Punjab News: पंजाब से वक्फ बोर्ड की जमीन को लेकर एक विवाद सामने आया है। राज्य के पटियाला के नाभा में बोरन खुर्द गांव में 37 एकड़ जमीन पंजाब वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर कर दी गई। टाइम ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीणों का आरोप है कि जमीन स्थानीय पंचायत की अनिवार्य सहमति के बिना ट्रांसफर की गई है।

बोरान खुर्द गांव में लगभग 60 प्रतिशत आबादी दलित है और 37 एकड़ जमीन वक्फ बोर्ड को दिए जाने के बाद खेती के लिए केवल 15 एकड़ जमीन ही बची है। इस मामले में राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा कहा गया कि विचाराधीन भूमि मूल रूप से वक्फ बोर्ड के पास ही रजिस्टर्ड थी। हालांकि दशकों तक पंचायत के ही कंट्रोल में रही थी।

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अधिकारियों ने किया केंद्र सरकार के अभियान का जिक्र

इसके अलावा राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान ट्रांसफर केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुपालन में एक राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा है। इसके तहत आधिकारिक रिकॉर्ड और ऑनलाइन पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों का रिकॉर्ड दर्ज किया जा रहा है।

इस मामले में बोरन खुर्द के निवासियों ने बताया है कि इस जमीन का प्रबंधन हमेशा पंचायत द्वारा किया जाता रहा है। सरपंच बलजीत कौर ने बताया कि ग्रामीणों की कई पीढ़ियां इस बात की गवाही दे सकती हैं कि ग्रामीण विकास विभाग द्वारा हर साल इल जमीन की नीलामी की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि जल आपूर्ति विभाग ने इस जमीन के एक एकड़ हिस्से पर एक इमारत भी बनाई है।

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पंचायत सदस्य ने क्या कहा?

पंचायत सदस्य मोहन सिंह ने ऐतिहासिक अभिलेखों का हवाला देते हुए बताया कि 1977 पंचायत ने भूमिहीन परिवारों को दो एकड़ जमीन में से चार चार मरला आवासीय भूखंड आवंटित किए थे। उन्होंन कहा कि सभी दस्तावेज चडीगढ़ कार्यालय में उपलब्ध हैं। यह मुद्दा तब सामने आया जब राजस्व विभाग ने इस साल ग्राम पंचायत को 323 कनाल जमीन की नीलामी के अनुमति देने से इनकार कर दिया कि यह वक्फ बोर्ड की है।

पंचायत ने पुराने रिकॉर्ड की जांच की और पाया कि 1994 में भी जमीन को हस्तांतरिक करने का ऐसा ही प्रयास किया गया था, जिसे अंततः रद्द कर दिया गया था। इन दावों का खंडन करते हुए लोकल राजस्व अधिकारी ने कहा कि 1971 के भारत के राजपत्र के मुताबिक यह भूमि कानूनी तौर पर वक्फ बोर्ड की ही है। दूसरी ओर ग्रामीण इस तबादले को चुनौती देने के तौर तरीके खोजने शुरू कर दिए हैं।

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