हरियाणा के पलवल जिले के एक शिक्षक की याचिका को खारिज करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया। कोर्ट ने कहा कि शिक्षक की याचिका न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। गणित पढ़ाने वाला शादी-शुदा शिक्षक अपनी ही छात्रा के साथ लिव-इन में रह रहा है। उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर छात्रा के परिजनों से खतरा बताते हुए सुरक्षा दिलाने की गुहार लगाई थी। जस्टिस आलोक जैन ने कहा कि यह गलत कदम है। हाईकोर्ट पहले ही कह चुका है कि पहले पति या पत्नी से विवाह समाप्त किए बिना किसी अन्य महिला के साथ रहना आईपीसी की धारा 494, 495 के तहत दो-विवाह होने का अपराध हो सकता है।

शिक्षक और छात्रा ने दायर की थी याचिका

अदालत एक शिक्षक-छात्र जोड़े द्वारा दायर अनुच्छेद 226 के तहत सुरक्षा याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें वह व्यक्ति जो पहले से शादीशुदा था और उसका एक बच्चा भी था, 19 साल की लड़की का शिक्षक था।

पढ़ाने के दौरान दोनों के बीच घनिष्ठता हो गई थी

याचिका में कहा गया है कि उनके बीच घनिष्ठता हो गई है और अब वे लिव-इन रिलेशनशिप में हैं और उन्हें लड़की के परिवार के सदस्यों से खतरा है। याचिका की जांच करने के बाद अदालत ने जुर्माना लगाया और निर्देश दिया कि यह राशि उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन अधिवक्ता परिवार कल्याण कोष में जमा की जाए।

उच्चतम न्यायालय ने केरल सरकार द्वारा दायर उस मुकदमे पर शुक्रवार को केंद्र से जवाब मांगा, जिसमें शुद्ध उधार लेने की सीमा तय कर राज्य के वित्त को विनियमित करने के लिए उसकी ‘विशेष, स्वायत्त और पूर्ण शक्तियों’ के प्रयोग में हस्तक्षेप करने का उसपर (केंद्र पर) आरोप लगाया गया है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी किया और 25 जनवरी तक जवाब मांगा। केरल सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि उधार लेने की सीमा राज्य की अपने कर्मचारियों को वेतन देने और अन्य खर्चों को पूरा करने की क्षमता को प्रभावित कर रही है।