Punjab Government: पंजाब विधानसभा ने 2018 में दो बेअदबी विरोधी विधेयक पारित किए थे। लेकिन उनको अभी तक राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली है। वहीं भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार बेअदबी के कृत्यों से निपटने के लिए एक नया और अधिक कठोर विधेयक पेश करने की तैयारी में है।
राज्य सरकार ने नशीली दवाओं के मुद्दे पर विपक्ष को घेरने के अलावा इस नए कानून को लाने के लिए 10 और 11 जुलाई को दो दिवसीय विधानसभा सत्र बुलाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पिछले शनिवार को अपने सरकारी आवास पर सर्ब धर्म बेअदबी रोको कानून मोर्चा के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के दौरान नया कानून लाने की घोषणा की थी।
भगवंत मान ने कहा कि प्रस्तावित कानून में पवित्र ग्रंथों की बेअदबी के लिए आजीवन कारावास और मृत्युदंड की संभावना सहित कठोर दंड का प्रावधान होगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा कानूनी ढांचे में ऐसी खामियां हैं, जिनके कारण ऐसे अपराध करने वाले कम से कम परिणामों के साथ बच निकलते हैं।
उम्मीद है कि राज्य सरकार विधानसभा में पेश करने से पहले विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए जल्द ही कैबिनेट की बैठक बुलाएगी। मान सरकार के इस कदम से राज्य में लंबे समय से लंबित बेअदबी विरोधी कानून का मुद्दा फिर से उठ खड़ा हुआ है।
2018 में तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने सर्वसम्मति से दो विधेयक पारित किए थे, जिसमें भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन करके धारा 295-एए को शामिल किया गया था। इस धारा में गुरु ग्रंथ साहिब, कुरान, बाइबिल और भगवद गीता के खिलाफ बेअदबी के कृत्यों के लिए आजीवन कारावास का प्रस्ताव था।
हालांकि पंजाब के राज्यपाल ने इन विधेयकों को मंजूरी दे दी है, लेकिन वे करीब सात साल से राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। मौजूदा भगवंत मान सरकार समेत कई सरकारों द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन में कई बार अपील किए जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
नवंबर 2024 में आप सांसद मलविंदर सिंह कांग ने लोकसभा में यह मामला उठाया था और केंद्र से इस प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया था। उन्होंने इसे एक ऐसा मुद्दा बताया था जो पंजाब के लाखों आस्था-प्रेरित नागरिकों को प्रभावित करता है।
मान ने बताया कि नव अधिनियमित भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में धार्मिक स्थलों के लिए प्रावधान किए गए हैं, लेकिन धार्मिक ग्रंथों के अपमान पर इसमें चुप्पी साधी गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह मुद्दा समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है, जिससे राज्य को अपना कानून बनाने की अनुमति मिलती है।
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विधेयक से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि नए बीएनएस प्रावधानों के तहत नया विधेयक पारित हो जाएगा और राज्यपाल से मंजूरी मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि आईपीसी की जगह बीएनएस आने के बाद पुराने विधेयक अप्रासंगिक हो गए हैं।
बता दें, धर्म से संबंधित अपराधों के लिए बीएनएस प्रावधानों में पंजाब के आगामी कानून के तहत प्रस्तावित आजीवन कारावास या यहां तक कि मृत्युदंड की तुलना में काफी हल्की सजा का प्रावधान है।
बीएनएस की धारा 298 के अनुसार किसी भी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को नुकसान पहुंचाने या अपवित्र करने पर दो साल तक की कैद हो सकती है। बीएनएस की धारा 299 के अनुसार किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य करने पर तीन साल तक की जेल हो सकती है।