पंजाब में जिलों के अधिकारियों को मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के दौरे के दौरान विरोध प्रदर्शन की आवाज को दबाने के लिए भजन बजाने के विवादित आदेश पर सियासत गरमाई हुई है। इसको लेकर विपक्ष दलों ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया, जिसके बाद अधिकारियों ने ‘लिपिकीय त्रुटि’ का हवाला देते हुए इस आदेश को वापस ले लिया गया।
स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट के आईजीपी दफ्तर द्वारा उपायुक्तों, पुलिस आयुक्तों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को ‘मुख्यमंत्री के दौरे पर सुरक्षा इंतजाम’ के संबंध में एक पत्र जारी किया था। इस आदेश में कहा गया था कि विभिन्न संगठन मुख्यमंत्री के दौरे पर नारेबाजी करते हैं। ”ऐसे में, जब भी पंजाब के सीएम आपके जिले में किसी कार्यक्रम के लिए आएं और किसी भी संगठन के लोग प्रदर्शन करें तो डीजे लगाकर उसमें गुरबानी शबद या धार्मिक गीत चलाए जाएं, जिससे नारेबाजी सुनाई ना दे।”
ये पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, आम आदमी पार्टी के विधायक और पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने सरकार पर निशाना साधा और इस आदेश को ‘शर्मनाक’ बताया। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से इस आदेश को शेयर भी किया।
हरपाल सिंह चीमा ने सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को मेंशन करते हुए ट्वीट किया, ”आप कितने डरे हुए हैं? इस तरह के हथकंडे अपनाकर विरोध करने वाली यूनियनों की आवाज को चुप कराने की कोशिश करना उनके प्रति आपके डर को दर्शाता है। आप उनका सामना करने और उन्हें सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। आप केवल उनके प्रति सहानुभूति जताने का नाटक करते हैं जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। बेहद शर्मनाक।”
बवाल के बाद आदेश लिया गया वापस
इसके अलावा, पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने ट्वीट किया, ”यह सच नहीं हो सकता है। यह बेअदबी और लोकतंत्र का मखौल है।” इस आदेश को लेकर तीखी प्रतिक्रियाओं के बाद आईजी के कार्यालय ने गुरुवार शाम को एक और पत्र जारी किया, जिसमें कहा गया कि ”पहले के पत्र को लिपिकीय गलती के कारण वापस लिया जा रहा है।”