इराक में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के आतंकियों के हाथों मारे गए 38 भारतीयों का शव भारत आ गया है। विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह भारतीय नागरिकों का शव लाने के लिए इराक गए थे। विशेष विमान ने बगदाद से उड़ान भरा था और अमृतसर (पंजाब) में लैंड किया। शवों के भारत आते ही मुआवजे की मांग भी शुरू हो गई थी। पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाबियों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। वहीं, केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने इस पर विवादास्पद टिप्पणी कर दी। दरअसल, पीड़ितों के परिजनों ने मुआवजे की मांग की थी। इस बाबत सवाल पूछे जाने पर वीके सिंह ने कहा कि उनकी जेब में कोई पिटारा नहीं है। बता दें कि मोसुल में मारे गए 38 भारतीयों में से 27 पंजाब के रहने वाले थे। ये सभी मोसुल में एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, जब आतंकियों ने उन्हें अगवा कर लिया था। मृतकों के परिजनों के मुआवजे की मांग पर रज्य सरकार ने हर परिवार को पांच लाख रुपये और घर के एक सदस्य को नौकरी देने की बात कही है। नवजोत सिंह सिद्धू ने साथ ही बताया कि मृतकों को 20,000 रुपये के पेंशन का भुगतान जारी रहेगा। मारे गए लोगों में कुछ बिहार के भी थे। वीके. सिंह पहले पंजाब और बाद में शवों को लेकर पटना भी गए।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पिछले महीने इराक में 38 भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि की थी। उन्होंने आधिकारिक तौर पर संसद को इसके बारे में सूचित किया था। विदेश मंत्री द्वारा 20 मार्च को इसके बारे में आधिकारिक जानकरी देने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार आलोचनाओं के केंद्र में आ गई थी। विपक्षी दलों ने जानकारी छुपाने का गंभीर आरोप भी लगाया था। उन्होंने बताया था कि डीएनए का मिलान कराने के बाद सभी की पहचान सुनिश्चित हो सकी थी। सभी भारतीयों को चार साल पहले आईएस आतंकियों ने मोसुल से अगवा कर लिया था। शुरुआत में इनके बारे में जानकारी नहीं मिल सकी थी। स्थानीय लोगों और उच्च क्षमता वाले रडार की मदद से सामूहिक कब्रगाह का पता लगाया गया था। सभी भारतीयों को आतंकियों ने मारकर पहाड़ियों में दफना दिया था, जिसके कारण शवों का पता लगाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा था।