Amarinder Singh Raja Warring and Bharat Bhushan Ashu: पंजाब में कांग्रेस के कई नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर पार्टी हाईकमान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और सीनियर नेता भरत भूषण आशु के बीच चल रही लड़ाई को नहीं सुलझाता है तो पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है। बताना होगा कि पंजाब में 2027 की शुरुआत में विधानसभा के चुनाव होने हैं। 

लुधियाना वेस्ट सीट पर उपचुनाव के प्रचार के दौरान वड़िंग और आशु के बीच मतभेद खुलकर दिखाई दिए थे। 

आशु और समर्थकों के इस्तीफे स्वीकार

यह साफ है कि लुधियाना वेस्ट सीट पर मिली हार के बाद पंजाब कांग्रेस में चल रही गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। इस सीट पर उम्मीदवार रहे भरत भूषण आशु और दो अन्य नेताओं के इस्तीफे पार्टी हाईकमान ने स्वीकार कर लिए हैं। बताना होगा कि आशु ने चुनाव हारने के बाद प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके दो समर्थक विधायकों- परगट सिंह और कुशलदीप सिंह किक्की ढिल्लों ने भी पार्टी छोड़ दी थी। 

गुजरात में कांग्रेस को ‘जिंदा’ करने की राहुल गांधी की कोशिशें धरी की धरी रह जाएंगी?

कांग्रेस के पंजाब मामलों के प्रभारी भूपेश बघेल ने इस्तीफे स्वीकर करने की जानकारी X पर दी है। लुधियाना वेस्ट सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा 10 हजार से ज्यादा वोटों से जीते थे। 

लुधियाना से सांसद हैं वड़िंग

वड़िंग के अलावा विधानसभा में नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा और पार्टी के कई बड़े नेता आशु के चुनाव प्रचार से दूर रहे थे। अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग लुधियाना से सांसद भी हैं।

वड़िंग के समर्थक माने जाने वाले कई नेता भी चुनाव प्रचार से गैर हाजिर रहे थे। ऐसे ही कई नेताओं में प्रदेश कांग्रेस के महासचिव कैप्टन संदीप संधू, लुधियाना जिला शहरी अध्यक्ष संजय तलवार, पूर्व विधायक राकेश पांडे, जस्सी खंगुरा, सुरिंदर डावर, पूर्व नौकरशाह कुलदीप सिंह वैद और पूर्व विधायक सिमरजीत और बलविंदर बैंस शामिल हैं। इन्हें वड़िंग का समर्थक माना जाता है। 

CM बनने का सपना देख रहे डीके शिवकुमार की प्रदेश अध्यक्ष के पद से होगी छुट्टी?

चुनाव प्रचार में न बुलाने को लेकर रार

चुनाव नतीजों के बाद वड़िंग ने कहा कि उन्हें चुनाव प्रचार में ‘आमंत्रित’ नहीं किया गया था। इसके जवाब में आशु ने कहा था कि यह उनकी शादी नहीं थी जो वह किसी को निमंत्रण भेजते। 

इसी तरह कुछ और विधायकों ने कहा कि उन्हें चुनाव प्रचार के लिए बुलाया ही नहीं गया जबकि भारत भूषण आशू का कहना है कि उन्होंने किसी को प्रचार करने से नहीं रोका और प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते चुनाव प्रचार में आना वड़िंग की जिम्मेदारी थी। 

‘यह मेरी शादी नहीं थी कि मुझे निमंत्रण भेजना चाहिए था’

लुधियाना से लड़ना चाहते थे आशु

वड़िंग और आशु के बीच यह लड़ाई 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान शुरू हुई थी। आशु लुधियाना से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी ने यहां से वड़िंग को उम्मीदवार बना दिया और वह चुनाव जीत भी गए। 

लंबे वक्त तक पंजाब में सरकार चला चुकी कांग्रेस के लिए नेताओं की यह आपसी लड़ाई बड़ी मुसीबत बन सकती है। देखना होगा कि कांग्रेस नेतृत्व क्या इस लड़ाई को सुलझा पाएगा। याद दिलाना होगा कि गुटबाजी की वजह से ही 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पंजाब की सत्ता से बाहर हो गई थी। 

यह भी पढ़ें- जब नेहरू की धमकियां भी रहीं बेअसर और जाति ही बना सबसे बड़ा हथियार…