गले तक कर्ज में डूबी पंजाब की कांग्रेस सरकार संकट से उबरने को राहत पैकेज मांगने की योजना बना रही है। अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कैबिनेट 15वें वित्त आयोग के समक्ष यह मांग उठाएगी। मंगलवार (29 जनवरी) से आयोग की एक टीम ने राज्य का चार दिवसीय दौरा शुरू किया है। इसमें चेयरमैन एनके सिंह, सदस्य डॉ अनूप सिंह, डॉ अशोक लाहिड़ी और प्रोफेसर रमेश चंद व अन्य शामिल हैं। यह भी संभावना है कि राहत पैकेज के साथ पंजाब सरकार आयोग का ध्यान खाद्य ऋण खाते और उज्जवल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (UDAY) के तहत जारी बांड्स में 31,000 करोड़ रुपये के अंतर का मुद्दा भी उठाएगी, जिससे सरकार का कर्ज और बढ़ा है।
हिंदुस्तान टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से लिखा है, “UDAY बॉन्ड्स के जारी होने और CCL के टर्म लोन में कन्वर्ट हो जाने की वजह से कर्ज की स्थिति और खराब हो गई है। ऐसे में वित्त आयोग से एक राहत पैकेज की दरकार है।” पंजाब पर 31 मार्च, 2018 तक 1.96 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था। अनुमान है कि वित्त वर्ष 2018-19 समाप्त होने से पहले यह बढ़कर 2.11 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। सरकार के अनुसार, उधार ली जाने वाली अधिकतर राशि पुराने कर्ज चुकाने में खर्च हो जाती है, पूंजी बनाने वाली संपत्तियों पर खर्च को पैसा ही नहीं बचता।
कांग्रेस से पहले, राज्य में सत्तारूढ़ रही शिरोमणि अकाली दल-भाजपा सरकार को भी 14वें वित्त आयोग से बेलआउट पैकेज की मांग करनी पड़ी थी, हालांकि आयोग ने तब सरकार की नहीं सुनी थी। एक अधिकारी ने एचटी से कहा, “पश्चिम बंगाल, केरल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य जिनकों राजस्व घाटा अनुदान मिलता है, उनके मुकाबला पंजाब सरकार का कर्ज बहुत ज्यादा है फिर भी उसे लगातार दो आयोगों ने कोई मदद नहीं दी।”
वित्त आयोग एक संवैधानिक संस्था है जिसका गठन हर पांच वर्ष पर किया जाता है। यह संस्था केंद्र सरकार के राजस्व को केंद्र और राज्यों तथा राज्यों और स्थानीय निकायों के बीच बांटने के लिए फॉर्मूला तैयार करती है। 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें 1 अप्रैल, 2020 से लागू होंगी।
पांचवें वित्त आयोग के समय केंद्रीय करों में पंजाब का हिस्सा 2.45 प्रतिशत हुआ करता था, जो 14वां वित्त आयोग आते-आते घटकर 1.577 प्रतिशत रह गया है। 14वें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा बढ़ाकर 42 फीसदी कर दिया था।