चर्चित आईएएस अफसर अशोक खेमका की सालाना अप्रेजल रिपोर्ट पर प्रतिकूल टिप्पणी करने के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर सरकार को निशाने पर लिया है। अदालत ने सोमवार को कहा कि वरिष्ठ अफसर की ‘ईमानदारी संदेह से परे’ है और अफसर के करियर के नुकसान से बचाया जाना चाहिए। जस्टिस राजीव शर्मा और कुलदीप सिंह की डिविजन बेंच ने कहा, ‘हमारी यह राय है कि इस तरह के पेशेवर ईमानदारी वाला शख्स की हिफाजत की जानी चाहिए। हमारे राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक व्यवस्था में पेशेवर ईमानदारी का बड़ी तेजी से क्षय हो रहा है।’
कोर्ट ने आगे कहा, ‘चूंकि ऐसी अफसरों की तादाद तेजी से कम हो रही है, जिनकी ईमानदारी शक से परे हो और जिनकी सत्यनिष्ठा उच्च स्तर की हो, ऐसे में उनके रिकॉर्ड पर प्रतिकूल टिप्पणी करने से होने वाले नुकसान से इनकी हिफाजत करनी चाहिए।’
बता दें कि अशोक खेमका ने मांग की थी कि साल 2016-2017 के लिए उनकी एनुअल परफॉर्मेंस अप्रेजल रिपोर्ट (PAR) पर खट्टर द्वारा की गई प्रतिकूल टिप्पणी को हटाया जाए और रिव्यूइंग अथॉरिटी की ओर से दिए गए 9.92 के ओवरऑल ग्रेड को वापस दिया जाए। अशोक खेमका का कोर्ट में प्रतिनिधित्व वकील श्रीनाथ ए खेमका कर रहे थे। इन्ही एडवोकेट ने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में भी खेमका का मामला रखा था। ट्रिब्यूनल ने दिसंबर 2018 में खेमका की याचिका रद्द कर दी थी।
डिविजन बेंच ने यह भी कहा, ‘कुछ मामले ऐसे होते हैं जो शब्दों में बयां किए जाने के मुकाबले ऐसे ही समझ में आते हैं।’ कोर्ट ने यह भी कहा, ‘राजनीतिक नेतृत्व के अंतर्गत एक ईमानदार अफसर किस दबाव में काम करता है, यह भी जानते हैं। कितने सारे खींचतान और दबाव के बावजूद अफसर को नियमों के मुताबिक काम करना पड़ता है। रिव्यू करने वाली अथॉरिटी ने कहा है कि याचिकाकर्ता मुश्किल परिस्थितियों में भी अपनी पेशेवर ईमानदारी के लिए देश भर में चर्चित हैं।’