(बरखा पवार)

सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित महाराष्ट्र के पुणे शहर के नवी पेथ निवासी निखिल प्रसाद बाजी (31) ने कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति से सिविल जज और प्रथम श्रेणी के जुडिशियल मजिस्ट्रेट परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। इस परीक्षा को महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन आयोजित करता है। बाजी अब फरवरी में होने वाली इसकी ट्रेनिंग करने जाने वाले है।  बाजी का परिवार नवी पेथ के रामबाग क्षेत्र में रहता है। बाजी ने बताया कि उनके परिवार ने कभी भी उन्हें यह अहसास नहीं होने दिया कि उन्हें एक गंभीर बीमारी है।

नेत्रहीन दोस्तों से ली प्रेरणा: निखिल 12वीं कक्षा के बाद सीधे कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT)परीक्षा के माध्यम से गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (GNLU) में आ गए। जूनियर कॉलेज में निखिल के कई ऐसे सहपाठी थे, जो घर से दूर रहते थे और नेत्रहीन थे। उन्होंने कहा कि जब उनका गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में चयन हुआ तो उन्होंने उन्हें घर से दूर और स्वतंत्र रूप से रहने के लिए प्रेरित किया।

Hindi News Today, 30 December 2019 LIVE Updates:देश-दुनिया की तमाम खबरे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करे

प्रैक्टिस के साथ करते रहे तैयारी : जीएनएलयू से स्नातक होने के बाद उन्होंने शिवाजीनगर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल में पांच साल तक प्रैक्टिस किया। सिविल जज जूनियर डिवीजन और प्रथम श्रेणी जूडिशियल मजिस्ट्रेट में प्री, मेन और इंटरव्यू तीन स्तरों की परीक्षाएं होती हैं। उन्होंने डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल में प्रैक्टिस करने के साथ-साथ अप्रैल 2019 में होने वाले प्री परीक्षा की भी तैयारी करते रहे।

चेहरे पर लकवा के झटके के बाद भी नहीं हारी हिम्मत : उन्होंने कहा, “मैं रोजाना तीन घंटे पढ़ाई करता था। चूंकि मैं ट्रिब्यूनल में काम कर रहा था, इसने मुझे कानून को एक फ्रेशर से बेहतर समझने में मदद की। इससे मुझे परीक्षा में निश्चित रूप से मदद मिली।” हालांकि प्रारंभिक परीक्षा में सफल होने के बाद और मुख्य परीक्षा की तैयारी के दौरान ही उन्हें बेल्स पाल्सी का झटका लगा, जिससे उनके चेहरे का आधा हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया। इससे उसके लिए पढ़ाई करना मुश्किल हो गया था। उन्होंने खुद को तेजी से ठीक करने की कोशिश की। फिजियोथेरेपी की मदद से वे एक महीने में ठीक हो गए। निखिल ने बताया कि मैं शुरू से न्यायिक क्षेत्र में जाने की कोशिश कर रहा था। स्नातक होने के बाद मैंने परीक्षा में शामिल हुआ, लेकिन कुछ नंबरों से मैं सफल नहीं हो सका। तब मैंने तय किया कि कुछ साल तक मैं लॉ की प्रैक्टिस करूंगा, उसके बाद दोबारा परीक्षा में शामिल होऊंगा।