पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने से देश में गुस्से और गम का माहौल है। इस बीच गृह मंत्रालय ने ऐसी खबरों को सरासर गलत बताया है जिनमें कहा गया था कि मंत्रालय ने जवानों को हेलिकॉप्‍टर से ले जाने के प्रस्‍ताव को खारिज कर दिया था। ‘द क्‍विंंट’ वेबसाइट और ‘टेलीग्राफ’ अखबार ने ऐसी खबर छापी है। इसे गलत बताते हुए मंत्रालय ने कहा कि सैनिकों की यात्रा का समय कम करने के लिए उसने सभी सेक्टरों में एयर कुरियर सेवाओं को काफी बढ़ा दिया है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘ साजो सामान पहुंचाने तथा अभ्यासगत कारणों से अर्धसैनिक बलों के काफिलों का सड़क मार्ग से गुजरना आवश्यक था और आगे भी रहेगा। सेना के साथ भी यही मामला है।’’

बता दें कि 14 फरवरी को श्रीनगर से करीब 35 किलोमीटर दूर पुलवामा में आत्‍मघाती हमलावर ने सीआरपीएफ की बस पर हमला कर दिया था। इसमें 40 जवान वीर गति को प्राप्‍त हो गए थे। करीब 2550 जवान 78 बसों के काफिले में चल रहे थे। आम तौर पर इतनी बड़ी संख्‍या में जवान काफिले में नहींं चलते हैं। इनकी संख्‍या 1000 से अधिक नहीं होती है, पर उस दिन संख्‍या ज्‍यादा इसलिए थी क्‍योंकि बर्फबारी के चलते हाईवे जाम था। इस वजह से बड़ी संख्‍या में जवान फंसे हुए थे। जब हाईवे खुला तो सभी एक साथ ही श्रीनगर की ओर चल दिए थे।

गृह मंत्रालय ने ऐसी खबरों को पूरी तरह गलत बताया है। मंत्रालय के बयान में कहा गया कि मीडिया के एक वर्ग में ऐसी खबरें आईं थीं कि सीआरपीएफ के जवानों के लिए जम्मू-श्रीनगर सेक्टर में हवाई पारगमन की सुविधा की इजाजत नहीं दी गई है, जो कि ‘‘सही नहीं है।’’ बयान के अनुसार, ‘‘तथ्य यह है कि पिछले कुछ वर्षों से गृह मंत्रालय ने सीएपीएफ के लिए सभी सेक्टरों में एयर कुरियर सेवाओं को काफी बढ़ा दिया है। ताकि जवानों की घर जाने तथा लौटने के वक्त को घटाया जा सके।’’

‘द क्‍विंंट’ ने एक सीआरपीएफ अफसर (जिसका नाम यह कहते हुए नहीं बताया गया कि वह नहीं चाहते पहचान सार्वजनिक हो) के हवालेे से लिखा था कि सीआरपीएफ ने जवानों के लिए ‘एयर ट्रांजिट’ का आग्रह किया था, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया। वेबसाइट ने अफसर के हवाले से लिखा, ‘बर्फबारी के चलते सड़कों पर आवाजाही बंद थी। काफी जवान फंस गए थे। चार फरवरी को ही आखिरी काफिला (14 फरवरी के हमले से पहले) रवाना हुआ था। इसलिए हमने सीआरपीएफ मुख्‍यालय को वायुमार्ग से जवानों को ले जाने की व्‍यवस्‍था कराने का आग्रह करते हुए पत्र लिखा। पर, कुछ नहीं हुआ। किसी ने पत्र का जवाब तक नहीं दिया।’ बता दें कि व्‍यवस्‍था के तहत इस तरह के आग्रह पर गृह मंत्रालय फैसला लेता है।

‘द क्‍विंंट’ ने सीआरपीएफ अफसर का नाम बताए बिना उनके हवाले से यह लिखा। साइट ने यह भी बताया कि उसने इस सवाल पर गृह मंत्रालय से संपर्क किया, पर कोई जवाब नहीं मिला।

अंग्रेजी अखबार  टेलीग्राफ ने भी सूत्रों के हवाले से 16 फरवरी को कुछ इस तरह की बात लिखी थी। अखबार ने यह भी लिखा था कि एयर ट्रांजिट से मना करने की वजह सुरक्षा संबंधी थी या कुछ और, यह पता नहीं चल पाया।

‘द टेलीग्राफ’ में 16 फरवरी को छपी लीड खबर का एक अंश।