Sunny Verma

देश के सरकारी बैंक पहले ही एनपीए (NPA-Non performing asset) की समस्या से जूझ रहे हैं। अब सरकार की मुद्रा लोन योजना ने इस परेशानी में और इजाफा किया है। बता दें कि मुद्रा लोन योजना के तहत दिए गए कर्ज में साल 2017-18 के दौरान सरकारी बैंकों का एनपीए दोगुने से बढ़कर करीब 7,277 करोड़ रुपए हो गया है। बीते तीन सालों की बात करें तो इस योजना के तहत एनपीए के आंकड़ों में लगातार तेजी देखी जा रही है। वित्त मंत्रालय द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2015-16 में सरकारी बैंकों द्वारा मुद्रा लोन योजना के तहत 59674.28 करोड़ रुपए के लोन बांटे गए, जिनमें एनपीए की संख्या 596.72 करोड़ रुपए रही। साल 2016-17 में एनपीए का आंकड़ा बढ़कर 3,790 करोड़ के करीब हो गया। अब 2017-18 में मुद्रा लोन में एनपीए का आंकड़ा बढ़कर 7,277 करोड़ रुपए हो गया है।

क्या है मुद्रा लोन योजनाः बता दें कि मुद्रा लोन योजना केन्द्र की मोदी सरकार की महत्वकांक्षी योजना है। इस योजना के तहत सरकार ने गैर-कृषि और जीविका चलाने वाले कामों के तहत लोगों को आसान ब्याज दर पर लोन देने का फैसला किया था। साल 2015 में इस योजना को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के नाम से शुरु किया गया था। इस योजना के तहत लोन तीन अलग-अलग वर्ग में दिया गया। जिसमें ‘शिशु लोन’ के तहत लोगों को 50,000 रुपए तक का कर्ज दिया गया, ‘किशोर लोन’ के तहत सरकार ने 50 हजार से 5 लाख तक के लोन बांटे। वहीं ‘तरुण लोन’ के तहत सरकार ने 5-10 लाख के लोन दिए। सरकार इस योजना को एक उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही है, लेकिन अब एनपीए की बढ़ती समस्या ने सरकार और सरकारी बैंकों की चिंता जरुर बढ़ायी होगी। पब्लिक सेक्टर बैंक के अलावा कई प्राइवेट बैंक भी मुद्रा योजना के तहत लोन की सुविधा देते हैं।

 

क्या हो सकता है एनपीए बढ़ने का कारणः मुद्रा लोन योजना में बढ़ते एनपीए के कारण पर बैंकिंग सेक्टर के जानकारों का कहना है कि मुद्रा लोन योजना एक गैर-जमानती ऋण योजना है, जिसके चलते इसके डूबने की आशंका बनी रहती है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस योजना के तहत एनपीए बढ़ने का ये भी एक बड़ा कारण हो सकता है। हालांकि इस योजना के तहत ऑटो या टैक्सी आदि के लिए लिया जाने वाला ऋण काफी सफल रहा है, क्योंकि ऐसे मामलों में बैंकों के पास जमानत की संभावना बनी रहती है।

MUDRA LOAN SCHEME