नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद में लाने की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की घोषणा के दो दिन बाद गुरुवार को मणिपुर, नगालैंड और मेघालय में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए गए। इम्फाल घाटी में बड़े पैमाने पर नागरिक संस्थाओं, विश्वविद्यालय और कॉलेज छात्रों ने कड़ी सुरक्षा के बीच विरोध प्रदर्शन किया लेकिन राज्य के किसी भी हिस्से में अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं है।

प्रोटेस्ट मणिपुर पीपल अगेंस्ट सिटिजिन अमेंडमेंट बिल (MANPAC) द्वारा आयोजित किया गया था। राज्य में कई नागरिक संगठनों के समूह ने इस बिल के विरोध में प्रदर्शन किया। राज्य के छह प्रमुख छात्रों के संगठनों ने भी इस विरोध का समर्थन किया। ऑल मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन (AMSU), डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स अलायंस ऑफ मणिपुर (DESAM), कंगलिपक स्टूडेंट्स एसोसिएशन (KSA), स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ कंगलिपक (SUK) और अपुनबा हिस्पनिपक माहेइरो सिंगपंगलुप (AIMS) इसमें मुख्य रूप से शामिल थे।

नगालैंड की राजधानी कोहिमा में भी विभिन्न नगा जनजातियों के हजारों प्रतिनिधियों ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा में ‘ज्वाइंट कमिटी ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ इंडिजनस पीपुल (जेसीपीआई), नगालैंड एंड नॉर्थ ईस्ट फोरम ऑफ इंडिजनस पीपुल (एनईएफआईपी) ने विरोध मार्च निकाला और मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि नागरिकता संशोधन विधेयक पूर्वोत्तर क्षेत्र की जनजातियों के सिर पर लटक रही खतरे की तलवार है।

शिलांग में आयोजित रैली में एनईएफआईपी ने आरोप लगाया कि नागरिकता संशोधन विधेयक क्षेत्र से मूल जनजातियों के खात्मे की कोशिश है। एनईएफआईपी ने दावा किया कि अगर केंद्र सरकार नगारिकता संशोधन विधेयक को लागू करेगी तो वह संयुक्त राष्ट्र संघ से हस्तक्षेप की मांग करेगा।

(भाषा इनपुट के साथ)