पैगंबर मोहम्मद को लेकर विवादित बयान देने वाली भाजपा से निलंबित नूपुर शर्मा के खिलाफ देश के अलग-अलग राज्यों में कई केस दर्ज हुए हैं। इन मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने को लेकर नूपुर शर्मा ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया, साथ ही नुपूर शर्मा को कड़ी फटकार भी लगाई। नूपुर ने मांग की थी कि अलग-अलग राज्यों में दर्ज मामलों को दिल्ली ट्रांसफर किया जाए क्योंकि उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है।

नूपुर शर्मा ने अपनी याचिका में पहला अनुरोध एफआईआर को रद्द करने की थी, जबकि सारे मामलों को एक जगह शिफ्ट करने का अनुरोध अलग था। नूपुर शर्मा के खिलाफ चार राज्यों महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना में कुल 9 एफआईआर दर्ज हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि शर्मा के खिलाफ असम, कर्नाटक, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में प्राथमिकी दर्ज की गई है, हालांकि इसका विवरण याचिकाकर्ता के पास उपलब्ध नहीं है।

इस याचिका में कहा गया कि प्राथमिकी में निराधार आरोप हैं जो समाचार चैनल पर प्रसारित बहस (डिबेट के दौरान दिए बयान) से पैदा नहीं होते हैं। याचिका में आगे तर्क दिया गया कि देश के विभिन्न हिस्सों में मामलों के दर्ज होने के पीछे गलत मकसद है। इसमें एफआईआर को रद्द करने की अपील भी की गई थी।

वैकल्पिक रूप से, याचिका में सभी एफआईआर को एक साथ करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया कि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग प्राथमिकी से कार्यवाही में डुप्लिकेसी आएगी और याचिकाकर्ता को अनावश्यक परेशान किया जाएगा। हालांकि, नूपुर शर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की और अदालत ने कहा कि उनके बयानों के बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा के लिए वह अकेले ही जिम्मेदार थीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से उन्होंने पूरे देश में भावनाओं को भड़काया, उससे वो खुद सुरक्षा के लिए खतरा नहीं बन गई है? कोर्ट ने कहा कि देश में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए यह महिला अकेले ही जिम्मेदार है।