बीजेपी की प्रवक्ता रही नूपुर शर्मा के पर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि भारत सरकार ने जो किया, वो बहुत कम था और जो किया, वो बहुत देर से किया। उनका कहना था कि भारत में शीर्ष पदों पर बैठे लोग चुप रहे। उन्होंने उन लोगों की भावनाओं का ख्याल नहीं किया गया जिन्हें ठेस लगी।
NDTV से नसीर ने कहा कि किसी इस्लामिक देश में अगर ऐसा बयान दिया गया होता तो बयान देने वाले को मौत की सजा मिलती। वहां इसे ईशनिंदा माना जाता। लेकिन भारत की सरकार और बीजेपी लंबे समय तक चुप्पी साधे रही। अगर वो बयान के तुरंत बाद नुपुर पर एक्शन ले लेती तो ये बखेड़ा खड़ा नहीं होता। सरकार की चुप्पी समझ से परे जान पड़ती है। नसीर ने कहा कि कोई मुस्लिम अपने अधिकार की बात करता है तो उस पर ही निशाना साधा जाता है। आखिर हम हर किसी को भारतीय की तरह क्यों नहीं देखते।
उन्होंने कहा कि नूपुर शर्मा फ्रिंज एलिमेंट नहीं बल्कि वो पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता थीं। उन्हें ऐसा नहीं लगता कि शीर्ष नेतृत्व की मंज़ूरी के नुपुर ने ये बात कही। उलटे वो ये भी कह रही हैं कि हिंदू देवी देवताओं पर भी अपमानजनक टिप्पणियां की जाती हैं। अभिनेता ने कहा कि वो चुनौती देते हैं कि अगर उन्हें कोई वीडियो क्लिप दिखा दी जाए, जिसमें कोई मुसलमान हिंदू देवी देवताओं पर अपमानजनक टिप्पणियां कर रहा हो। उनका कहना था कि वो उम्मीद करते हैं कि पीएम मोदी ऐसे नफरत फैलाने वाले को चुप कराने का काम करेंगे।
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उनका कहना था कि पीएम मोदी चाहते हैं कि सांप्रदायिकता का ये जहर न फैले तो उन्हें खुद आगे आना होगा। केवल मोदी ही ऐसे लोगों पर लगाम कस सकते हैं। बीजेपी में किसी और नेता के वश में ये लोग नहीं आने वाले। लेकिन इसके लिए पीएम को अपनी तरफ से खुद ही पहल करनी होगी। एक बार वो सख्त तेवर दिखाते हैं तो ऐसे तत्व खुद ब खुद शांत हो जाएंगे।
नूपुर शर्मा ने एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उसके बाद ही उत्तर प्रदेश के कानपुर में हिंसा फैली। हिंसा को उनके बयान से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके बाद कई इस्लामिक देशों ने इस पर नाराजगी जताई थी। कई देशों ने भारतीय राजदूतों को बुलाकर अपनी आपत्ति व्यक्त की थी। बीजेपी ने नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया था। लेकिन ये फैसला देरी से हुआ।