देश में करीब 50 लाख लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट के बादल छा गए हैं। दरअसल कई निजी अस्पतालों ने CGHS (सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम) पैनल के तहत कैशलेस सेवाओं को बंद करने का अल्टीमेटम दे दिया है। दरअसल अस्पतालों ने CGHS पर बकाया का भुगतान नहीं करने का आरोप लगाया है और सीजीएचएस को बकाया भुगतान के लिए एक माह का समय दिया है, अन्यथा सेवाएं बंद करने की धमकी दी है।
निजी अस्पतालों की एसोसिएशन AHPI (Association of Healthcare Providers India) के अध्यक्ष एलेक्स थॉमस ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि “हमने सरकार से बकाया पाने का हर संभव प्रयास किया लेकिन इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के सामने अब अस्तित्व का सवाल खड़ा हो गया है। हम सरकार से बातचीत कर रहे हैं, लेकिन यदि यह मामला अगले कुछ हफ्तों में नहीं सुलझता है तो अस्पताल कैसलेस सेवाओं को बंद करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।”
बताया जा रहा है कि एक्स-सर्विसमैन कॉन्ट्रीब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ECHS) की कैशलेस सेवाएं भी बंद की जा सकती हैं। बता दें कि निजी अस्पतालों की एसोसिएशन में करीब 9000 अस्पताल शामिल हैं, जिनमें मैक्स हेल्थकेयर, फोर्टिस हेल्थकेयर, नारायाणा हेल्थ और मेदांता मेडिसिटी जैसे बड़े अस्पताल भी शामिल हैं।
AHPI के अनुमान के मुताबिक CGHS और ECHS सेवाओं के तहत अस्पतालों का सरकार पर करीब 650 करोड़ रुपए बकाया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव आलोक सक्सेना ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ‘इस साल कैशलेस सेवाओं के लिए करीब 1400 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। इसके अलावा और पेमेंट के भुगतान की प्रक्रिया जारी है।’
बता दें कि CGHS के तहत करीब 35 लाख केन्द्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स कैशलेस स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। इनके अलावा पूर्व और मौजूदा सांसद, स्वतंत्रता सेनानी भी सीजीएचएस के तहत कैशलेस स्वास्थ्य सेवाओं का फायदा उठा रहे हैं।
वहीं ECHS सेवाओं के तहत पूर्व कर्मचारी पेंशनर्स और उनके आश्रितों को कैशलेस स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल रहा है। साल 2018-19 में देशभर में करीब 18 लाख लोगों ने ECHS के तहत स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाया।