प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 17-18 जून को गुजरात के दो दिवसीय दौरे होंगे। इस दौरान पीएम मोदी 18 जून को पंचमहल जिले में पावागढ़ पहाड़ी के ऊपर पुनर्विकसित कालिका माता मंदिर का उद्घाटन करेंगे। गौरतलब है कि मंदिर के शिखर के लिए 11 वीं शताब्दी के एक दरगाह को पास में शिफ्ट किया गया है। ऐसे में एक ही जगह पर मंदिर और दरगाह का पुनर्विकास अपने आप में सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा उदाहरण है।
मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि मंदिर में एक शिखर है, जहां पहले हजरत सदनशाह वाली पीर दरगाह थी। बाद में पुनर्विकास के दौरान इसे बगल में एक स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया। बता दें कि इसे हिंदू और मुस्लिमों के बीच मैत्रीपूर्ण समझौते के चलते किया गया। यहां उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी लाल और स्वर्ण मंदिर का झंडा फहराएंगे।
एक ट्रस्ट सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “पहाड़ी के ऊपर पुनर्विकास कार्य के दौरान दरगाह को स्थानांतरित करना सबसे चुनौतीपूर्ण था। समझौते के तहत हमने दरगाह का भी पुनर्निर्माण किया।” बता दें कि मंदिर और दरगाह का पुनर्निर्माण अहमदाबाद स्थित वास्तुकार आशीष सोमपुरा की निगरानी में हुआ। उन्हीं की देखरेख में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। पीएम मोदी के दौरे से पहले मंदिर को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है।
इस जगह को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां मां सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था। इसलिए इस मंदिर को शक्तिपीठ के रूप में हिंदू धर्म के लोग पूजते हैं। यहां राजपूत राजा ध्वजारोहण भी करते थे। इसे एकमात्र ‘पूर्ण और अपरिवर्तित इस्लामी पूर्व-मुगल शहर’ कहा गया है। ट्रस्ट के मुताबिक 15वीं शताब्दी में सुल्तान महमूद बेगड़ा ने चंपानेर पर जीत हासिल कर इसे अपनी राजधानी स्थापित की और मंदिर के शिखर को नष्ट कर दिया था। उसी समय दरगाह का निर्माण करवाया था।
बता दें कि मंदिर के पुनर्विकास में राजस्थान से लगभग 3,600 क्यूबिक फीट बंसी पहाड़पुर लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया। यही पत्थर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। अहम बात यह भी है कि दरगाह को भी उन्हीं पत्थरों से बनाया गया।