सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद कैबिनेट सचिव का वेतन राष्ट्रपति के वेतन से ज्यादा हो गया था। इस विसंगति को सुधारते हुए केन्द्र सरकार ने राष्ट्रपति के वेतन में 200 फीसदी से ज्यादा बढ़ोत्तरी किए जाने का फैसला किया है। एनडीटीवी के अनुसार, राष्ट्रपति का वेतन डेढ़ लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए प्रतिमाह किए जाने का प्रस्ताव है। भारत के राष्ट्रपति की वेतन बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद है। सरकार ने राष्ट्रपति, उप- राष्ट्रपति और राज्यपालों के वेतन बढ़ाने का फैसला किया। उप-राष्ट्रपति का वेतन भी वर्तमान के 1.10 लाख रुपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपए प्रतिमाह किया जाएगा। राष्ट्रपति के रिटायर होने के बाद, उन्हें 1.5 लाख रुपए पेंशन मिलेगी। राष्ट्रपति के जीवनसाथी को 30,000 रुपए प्रतिमाह की सचिवालयी सहायता दी जाएगी। इस संबंध में प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है और संसद के शीतकालीन सत्र में इसे मंजूरी दी जा सकती है।
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हालांकि, इसके बाद प्रधानमंत्री पर सांसदों का वेतन बढ़ाने का दबाव बढ़ जाएगा, जिसका प्रस्ताव पहले से ही लंबित पड़ा हुआ है। अगस्त में, करीब 250 सांसदों ने वेतन बढ़ाने की याचिका पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन सरकार विकल्प तौल रही है। अगर सांसदों के वेतन में बढ़ोत्तरी को मंजूरी मिलती है तो उनकी मूल मासिक सेलरी बढ़कर एक लाख रुपए हो जाएगी। इसके अलावा संसदीय क्षेत्र भत्ते और उनके ऑफिस स्टाफ के वेतन में 100 फीसदी की बढ़ोत्तरी होगी। वार्षिक फर्नीचर भत्ते को दोगुना कर 1,50,00 लाख रुपए और पूर्व सांसदों के लिए मासिक पेंशन को 20,000 से बढ़ाकर 35,000 रुपए किए जाने का प्रस्ताव है।
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संसद की मंजूरी के बाद वेतन बढ़ोत्तरी अगले राष्ट्रपति के कार्यकाल से प्रभावी होगी। प्रणब मुखर्जी के बाद चुने जाने वाले राष्ट्रपति को 5 लाख रुपए प्रतिमाह वेतन मिलेगा। संविधान के मुताबिक, राष्ट्रपति के वेतन व भत्तों में उसके कार्यकाल के दौरान बदलाव नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रपति को वेतन भारत की संचित निधि में से दिया जाता है।